नई दिल्ली। सोशलिस्ट फैक्टर के एडिटर फ्रैंक हुज़ूर हमारे बीच नहीं रहे। कल 5 मार्च की रात दिल्ली में हार्ट अटैक से उनका देहांत हो गया। वह मॉडल टाउन में अपने मित्र के यहाँ रुके थे। अपनी पत्रिका सोशलिस्ट फैक्टर के जरिये उन्होंने अपनी एक अलग पहचाई बनाई थी। फैंक हुजूर समाजवाद के पक्षधर थे। एक लेखक, पत्रकार और सामाजवादी विचारधारा के प्रवक्ता के तौर पर उनको जाना जाता था। उन्होंने लखनऊ में अनेक युवाओ को समाजवाद की तरफ मोड़ा उन्हें आगे बढ़ाने मे मदद की। उनका पहले का नाम सोमेश यादव है।
फ्रैंक हुजूर के अचानक चले जाने से उनके जानने और चाहने वाले हतप्रभ हैं। उनके पार्थिव शरीर को जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। उनके परिजन दिल्ली के लिए चल पड़े हैं।
इमरान खान, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पर जीवनियों के अलावा उन्होंने कई किताबें लिखी। सोशलिस्ट फैक्टर मैगजीन भी निकालते थे। सेक्युलरिज्म और सामाजिक न्याय की विचारधारा से उनका गहरा रिश्ता था और बिना रुके इन पर काम करते थे।
बिहार के बक्सर में जन्मे फ्रैंक हुजूर मूलतः अंग्रेजी के लेखक और जर्नलिस्ट थे। राँची के सेंट जेवियर्स और दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई पूरी कर फ्रैंक अपनी इंगलिश पोएट्री और ड्रामा (हिटलर इन लव विथ मैडोना) से चर्चित हुए। इसके बाद इन्होंने नाटक ‘ब्लड इज बर्निंग’ और‘ स्टाइल है लालू की जिंदगी’ लिखा। मात्र बीस वर्ष की उम्र में अंग्रेजी मैगजीन ‘यूटोपिया’ के संपादक बनने वाले फ्रैंक ने प्रख्यात क्रिकेटर और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की राजनीतिक जीवनी ‘इमरान वर्सेस इमरान: दी अनटोल्ड स्टोरी’ भी लिखी है।
उनके जाने के बाद उन्हें याद करने वालों का तांता लग गया है। सुरेन्द्र सिंह चौधरी ने लिखा है-
ये अविश्वसनीय है लेकिन सच होते हुए भी नाकाबिले बर्दाश्त है। आप की तो बहुत जरुरत थी अभी देश और समाज को। अत्यंत शालीन, विनम्र और अंग्रेजी साहित्य के विद्वान लेखक एवं पत्रकार के रुप में ख्याति अर्जित कर चुके आपकी जीवन यात्रा इतनी छोटी क्यों? मैं और साथी Badr E Alam तो बहुत बार लखनऊ आपके आवास पर घंटों आपके साथ बैठते रहे, देश,काल, राजनीति और दर्शन पर चर्चाएं अब सब खत्म?

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