नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब में यूपीए दौर के कई राज से पर्दा उठाया है. अपनी नई किताब ‘कोएलिशन ईयर्स (1996-2012)’ में प्रणब मुखर्जी ने 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले के वाकये का जिक्र करते हुए लिखा कि दो जून, 2012 को वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए गए. उस वक्त राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी थीं. मीटिंग के दौरान सोनिया गांधी ने कहा, ”प्रणबजी आप इस पद के लिए सबसे योग्य शख्स हैं लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार चलाने में आपकी भूमिका बेहद अहम है. लिहाजा कोई वैकल्पिक नाम सुझाएं?”
प्रणब मुखर्जी ने लिखा, ”मीटिंग खत्म होने के बाद मुझे लगा कि सोनिया गांधी यूपीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए मनमोहन सिंह के नाम पर विचार कर रही हैं. मैंने सोचा कि यदि मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाएगा तो वह मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए चुन सकती हैं. मैंने इस बारे में भी चर्चा सुनी कि कौशांबी पहाड़ियों में छुट्टियां बिताने के दौरान भी उन्होंने इस विचार पर मंथन किया.”
एक घटना में उन्होंने मुंबई में 26/11 आतंकी हमले के बाद मनमोहन सिंह से विदेश मंत्री के रूप में अपनी मुलाकात का जिक्र अपनी किताब में करते हुए लिखा है, ”मैं जब मनमोहन सिंह से मिलने उनके ऑफिस पहुंचा तो उन्होंने बताया कि शिवराज पाटिल ने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और सोनिया गांधी ने सुझाव दिया है कि मुझे इस पद भार को संभाल लेना चाहिए. मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से ऐसा नहीं करने को कहा है क्योंकि मैं विदेश मंत्री के रूप में पहले ही उस घटना के बाद युद्ध जैसे हालात को संभाल रहा था. लिहाजा ऐसे में इस पद को छोड़ना मेरे लिए मुनासिब नहीं था. फिर यह तय किया गया कि पी चिदंबरम को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाए.”
शुक्रवार को इस प्रणब मुखर्जी की पुस्तक के प्रकाशित होने के मौके पर मौजूद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने वर्ष 2004 में अपने प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना और ”प्रणबजी मेरे बहुत ही प्रतिष्ठित सहयोगी थे.” उन्होंने कहा, ”इनके (मुखर्जी के) पास यह शिकायत करने के सभी कारण थे कि मेरे प्रधानमंत्री बनने की तुलना में वह इस पद (प्रधानमंत्री) के लिए अधिक योग्य हैं. पर वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानते थे कि मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था.”
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