नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन में लड़ रहे बीएसपी और एसपी ने यूपी में अपनी सीटों का बंटवारा कर लिया है. अखिलेश की समाजवादी पार्टी 37 सीटों पर लड़ेगी, जबकि मायावती की बीएसपी 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. कुल 80 सीटों में से 75 अपने पास रखने के बाद दोनों दलों ने तीन सीटें आरएलएडी और दो कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं. हालांकि दोनों दलों ने सीटों के बंटवारे के लिए 2014 के आम चुनाव के फॉर्म्युले को नहीं माना है. जानें, दोनों दलों ने किस फॉर्म्युले से किया सीटों का बंटवारा…
2014 नहीं, 2009 के गणित से कर रहे काम
एसपी और बीएसपी ने चुनावी समीकरण तैयार करने के लिए 2014 की बजाय 2009 के आम चुनावों को आधार माना है. दोनों दलों का कहना है कि 2014 में मोदी लहर थी, जिसके चलते उनके अपने वोट बड़ी संख्या में कट गए थे. लेकिन, 2009 के आम चुनाव में दोनों दलों से मजबूत गढ़ का संकेत मिलता है. तब 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 23.4 फीसदी वोट के साथ 23 सीटें जीती थीं, जबकि 27.5 पर्सेंट मतों के साथ बीएसपी के खाते में 20 सीटें गई थीं. उस वक्त बीजेपी को महज 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था, जबकि आरएलडी के खाते में 5 सीटें गई थीं. इसके अलावा एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था.
आसान नहीं समझना सीट बंटवारे का फॉर्म्युला
बीएसपी 12 ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जहां उसका वोट शेयर 2014 में एसपी के मुकाबले कम था. इसके अलावा वह दो ऐसी सीटों से भी चुनावी जंग में उतरेगी, जहां उसके वोट एसपी के लगभग बराबर थे.
कम वोट वाली 14 सीटें एसपी के खाते में
आम चुनाव में एसपी समाजवादी पार्टी के खाते में भी ऐसी 14 सीटें गई हैं, जहां 2014 में उसका वोट प्रतिशत बीएसपी के मुकाबले कम था.
मिर्जापुर में बीएसपी से आधे वोट, सीट SP के खाते में
पूर्वांचल की मिर्जापुर सीट पर बीएसपी को 20.6 फीसदी वोट मिले थे, एसपी को 10.6 पर्सेंट वोट ही मिले थे. लेकिन, यह सीट भी मायावती ने अखिलेश यादव को सौंप दी है.
2014 में लड़ते साथ तो कितनी बनती बात
यदि बीते आम चुनाव में बीएसपी और एसपी एक साथ लड़ते तो करीब 15 सीटें ऐसी थीं, जहां उनका वोट प्रतिशत 50 से भी अधिक रहता. 31 सीटों पर दोनों दलों को 40 से 50 फीसदी तक वोट मिलते. 23 सीटों पर दोनों दलों का वोट प्रतिशत 30 से 40 पर्सेंट तक होता. 3 सीटों पर यह आंकड़ा 20 से 30 फीसदी तक और 3 ही सीटों पर 20 फीसदी से नीचे रहता.
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