नई दिल्ली। गोरक्षा के नाम पर मुसलमानों को मारने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. गोरक्षा के नाम पर हो रही मॉब लिंचिंग के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई है. मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने केंद्र व राज्य सरकारों को कहा कि गोरक्षा के नाम पर इस तरह की हिंसा की वारदातें नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि राज्यों का ये दायित्व है कि इस प्रकार की घटना को ना होने दिया जाए. आम लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार ले और उचित कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि गोरक्षकों के द्वारा हिंसा को रोकने के लिए कोर्ट एक विस्तृत आदेश जारी करेगा. SC ने कहा कि केंद्र को इस मसले पर आर्टिकल 257 के तहत एक स्कीम लानी चाहिए.
किसी स्कीम की जरूरत नहीं…
आजतक की एक खबर के मुताबिक ASG नरसिम्हा ने सुनवाई में कहा कि इस मामले में किसी स्कीम की जरूरत नहीं है, ये लॉ एंड ऑर्डर का मामला है. सवाल है कि आखिर कौनसा राज्य सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को मानता है. सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने और घटना होने के बाद अपनाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे. ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं. सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, FIR, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं.
इसके साथ ही तत्काल में घटी घटनाओं को याद दिलाते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है, वो गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ में लेकर लोगों को मार रहे हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसी ही एक घटना में 4 लोगों को मार दिया गया है. इंदिरा जयसिंह ने धर्म, जाति और लिंग को ध्यान में रखते हुए मुआवज़ा की मांग भी की.
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