आधार कार्ड से लिंक न होने के कारण लगभग तीन करोड़ राशन कार्ड सरकार द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। इस मामले में दायर एक जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए जवाब मांगा है। बुधवार 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है और इस पर संवेदनशीलता से विचार होना चाहिए क्योंकि यह सबसे गरीब लोगों के जीवन से जुड़ा है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि राशन कार्ड रद्द होने के कारण जनजातीय क्षेत्रों में भुखमरी से कई लोगों की मौत हुई है। मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगाने से किसी को कोई फायदा नहीं होने वाला है।बोबडे ने आगे यह भी जनजातियों की खाद्य सुरक्षा का मुद्दा राज्य की सूची में आता है इसलिए इसमें केंद्र सरकार पर आरोप लगाना उचित नहीं है और राज्य सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए।कॉलिन गोंजाल्विस ने अपना पक्ष रखते हुए केंद्र को इस सबके लिए जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड निरस्त करने का काम केंद्र सरकार ने इस आधार पर किया है कि इन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं हैं।
गौरतलब है कि यह याचिका ह्यूमन राइट ला नेटवर्क की तरफ से लगाई गई है। 28 सितंबर 2017 को झारखंड के सिमडेगा, करमाटी की 11 वर्षीय बच्ची संतोषी की भूख से मौत हो गयी थी। इसके बाद संतोषी की मां और बहन की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता के साथ संतोषी की मां कोइली देवी और बहन गुड़िया देवी भी मौजूद थीं।

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