‘आप’ की जीत, SC ने दिल्ली को दी ‘आजादी’

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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुना दिया है. इस आजादी के लिए आम आदमी पार्टी लंबे समय से संघर्ष कर रही थी जिसकी बुधवार को जीत हुई. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने मुख्य फैसले में कहा कि चुनी हुई सरकार लोकतंत्र में अहम है, इसलिए मंत्री-परिषद के पास फैसले लेने का अधिकार है. संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि हर मामले में LG की सहमति जरूरी नहीं, लेकिन कैबिनेट को फैसलों की जानकारी देनी होगी.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, हमनें सभी पहलुओं- संविधान, 239एए की व्याख्या, मंत्रिपरिषद की शक्तियां आदि- पर गौर किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि दिल्ली की असली बॉस चुनी हुई सरकार ही है यानी दिल्ली सरकार. बता दें कि दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल के बीच लंबी लड़ाई चल रही थी. दिल्ली में सरकार चलाने वाले का हमेशा शिकायत रहता था कि केंद्र सरकार यानी उप राज्यपाल काम नहीं करने दे रहे हैं लेकिन इस मामले का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल हुई थीं. 6 दिसंबर 2017 को मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. हालही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी के यहां धरना दिया था. आखिरकार आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल कर ली.

‘आप’ का कहना

  • सुप्रीम कोर्ट से मिले फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत हुई है. लोकतंत्र के लिए बड़ी जीत है.
  • दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता का एक ऐतिहासिक फैसला था. मैं दिल्ली की जनता की तरफ से इस फैसले के लिए धन्यवाद करता हूं, जिसमे माननीय न्यायालय ने जनता को ही सर्वोच्च बताया है. LG को मनमानी का अधिकार नहीं, दिल्ली सरकार के काम को रोका जा रहा था. माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है.
  • आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लैंड, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर सरकार के अधीन नहीं आएंगे. इन तीन विषयों को छोड़कर चाहे वह बाबुओं के ट्रांसफर का मसला या और नई शक्तियां हों, वह सारी शक्तियां अब दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएंगी.

चीफ जस्टिस का कहना

इस मामले को लेकर पांच जजों की बेंच चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एक सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि संघीय ढांचे में absolutism और अनार्की की कोई जगह नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई फैसला लेने से पहले LG की अनुमति लेने की जरूरत नहीं, सिर्फ सूचना देने की जरूरत. साथ ही कोर्ट ने कहा कि छोटे-छोटे मामलों में में मतभेद ना हो. राय में अंतर होने पर राष्ट्रपति को मामला भेजें LG. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि राज्य को बिना किसी दखल के कामकाज की आजादी हो. चीफ जस्टिस और दो अन्य जजों ने कहा कि दिल्ली सरकार को हर फैसला एलजी को बताना होगा. हालांकि, हर मामले में एलजी की सहमति जरूरी नहीं.

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2 COMMENTS

  1. चलो नूरा-कुश्ती तो खत्म होगी अब। साथ ही आप सरकार की शिकायतें भी खत्म होंगी कथनी और करनी का भी पता चलेगा

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