पटना। बेनामी संपत्ति मामले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लालू परिवार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 12 से ज्यादा संपत्ति कुर्क की है. इस संपत्तियों की कुल कीमत 172 करोड़ रुपए से अधिक है. बेनामी संपत्ति मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी (पत्नी), मीसा भारती (बेटी) और तेजस्वी यादव (बेटा) के खिलाफ आयकर विभाग ने केस दर्ज किया है और इन लोगों को नोटिस भी भेजा गया है. आयकर विभाग ने लालू परिवार को समन भेजकर इन संपत्तिओं के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा है.
मीसा की चार संपत्तियां अटैच
राबड़ी देवी ने अपनी कई संपत्ति को बतौर गिफ्ट दिखाया था, जिससे कई सवाल खड़े हुए थे. साल 2014 में 30.8 लाख रुपए की संपत्ति को राबड़ी ने लल्लन चौधरी की ओर से मिले बतौर उपहार दिखाया था. इससे पहले बेनामी संपत्ति मामले में ही आयकर विभाग ने सोमवार को मीसा भारती की मीसा की चार संपत्तियों को अटैच कर दिया था.
इसके तहत अब मीसा भारती इन संपत्तियों को ना बेच सकती हैं और ना ही किराए पर दे सकती हैं. इन संपत्तियों की कुल कीमत करीब 50 करोड़ रुपए है. मीसा भारती अभी राज्यसभा सांसद भी हैं. सूत्रों के मुताबिक, मीसा भारती को जुलाई के पहले हफ्ते में बेनामी संपत्ति के बारे में अपनी सफाई देने के लिए पेश होने को कहा गया. बेनामी एक्ट के मुताबिक, जिनकी संपत्ति अटैच की जाती है उसे 90 दिनों के भीतर यह साफ करना होता है कि संबंधित रकम का ट्रांजेक्शन उसने कब और कैसे किया.
इससे पहले आयकर विभाग ने मीसा भारती पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया था. यह जुर्माना कथित बेनामी संपत्ति मामले में आयकर विभाग के समक्ष पेश नहीं होने पर लगाया गया.
मीसा के पति भी निशाने पर
बिहार से राज्यसभा सांसद मीसा को आयकर विभाग ने 24 मई को समन भेजकर छह जून को पेश होने को कहा था. उनके पति शैलेश कुमार को भी बयान देने के लिए बुलाया गया था. लेकिन मीसा ने अपने स्थान पर अपने वकील को भेज दिया था.
आयकर विभाग ने कथित बेनामी संपत्ति सौदों के मामलों में 16 मई को दिल्ली और आसपास के 22 स्थानों पर छापे मारे थे. ये छापे लालू प्रसाद, उनके बेटों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के अलावा मीसा भारती से जुड़े मामलों में मारे गए थे.
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के आरोपों के मद्देनजर राजद प्रमुख के आवास पर छापे मारे गए थे. इसके साथ ही पार्टी सांसद पीसी गुप्ता के आवास पर भी छापे मारे गए और कई कारोबारियों और दिल्ली एवं गुरुग्राम, रेवाड़ी में रियल एस्टेट एजेंटों के ठिकानों पर छापे मारे गए थे.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।