अगर किसी कमजोर व्यक्ति के ऊपर बैंक के कुछ लाख रुपये बकाया हो जाए तो बैंक जब्ती के आदेश निकाल देती है। अगर कोई साधारण व्यक्ति बैंक से लोन लेने जाए तो उसे इतने पापड़ बेलने पड़ते हैं कि वह लोन की बात ही भूल जाता है। यानी कि सरकार भले जितने दावे कर ले, उससे सुविधा लेकर अपना बिजनेस खड़ा करने का सपना देखना देश के एक आम आदमी के लिए बड़ी चुनौती होती है। लेकिन यही सरकारें बड़े-बड़े अरबपति उद्योगपतियों को कई एकड़ जमीन कौड़ी के भाव दे देती है और यह उद्योग स्थापित करने और नौकरियों का सृजन करने के नाम पर दिये जाते हैं।
केंद्र में भाजपा को समर्थन देने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने टाटा की कंपनी टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज को 21 एकड़ जमीन महज 99 पैसे प्रति एकड़ के हिसाब से दे दिया है। कंपनी इस जमीन का उपयोग IT Hills नंबर 3 पर एक IT कैंपस बनाएगी। बताया जा रहा है कि इसको बनाने में 1370 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस प्रोजेक्ट से 12 हजार नौकरियां मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इसी तरह जहां देश का अंबेडकरवादी और बौद्ध समाज बोधगया का महाविहार मुक्ति का आंदोलन चला रहा है, आंध्र की कैबिनेट ने एलुरु ज़िले के द्वारका तिरुमला मंडल के IS राघवपुरम में श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर को 30 एकड़ ज़मीन बिना किसी शुल्क के देने की मंजूरी दी।
यह कोई पहला मौका नहीं है। सरकार और सरकारी बैंक हमेशा से उद्योगपतियों पर मेहरबान रहे हैं। दिसंबर 2024 में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक0 अंबानी, जिंदल और जयप्रकाश जैसे उद्योगपति लोन की रकम को चुका नहीं पा रहे हैं। इससे बैंकों पर बोझ लगातार बढ़ रहा है। पिछले 10 साल में बैंकों ने 12 लाख करोड़ रुपये का लोन माफ किया है। वहीं पिछले 5 साल में कर्ज माफी की आधे से ज्यादा रकम सरकारी बैंकों की है। लोन माफ करने में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सबसे आगे है।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक टॉप 100 डिफॉल्टरों के पास कुल एनपीए का 43 फीसदी हिस्सा है। द इंडियन एक्सप्रेस ने यह जानकारी आईटीआर के माध्यम से जुटाई है। इसमें बताया गया है कि लोन न चुका पाने वालों में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड भी शामिल है। साथ ही इसमें जिंदल और जेपी ग्रुप की भी कंपनियां शामिल रही हैं। इसी तरह जहां तक लोन माफी की बात है तो वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच SBI ने 1,46,652 रुपये, PNB ने 82, 449 रुपये, UBI ने 82,323 रुपये, BoB ने 77,177 रुपये और BoI ने 45, 467 रुपये का कर्ज माफ किया।
इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि बड़े बड़े उद्योग लगने से देश की जनता को रोजगार मिलता है। लेकिन बड़े-बड़े उद्योग घरानों को कौड़ियों के भाव जमीन दे देना कितना जायज है?

राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।