भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मणयम स्वामी के आरक्षण को लेकर दिये उस बयान को बार-बार दोहराने और याद रखने की जरूरत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार आरक्षण को कानूनी तौर पर खत्म नहीं करेगी, बल्कि उसे ऐसी जगह लाकर छोड़ देगी कि आरक्षण होने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
आप केंद्र यूसे लेकर भाजपा शासित तमाम राज्यों के आंकड़े उठा कर देख लिजिए, आरक्षित वर्ग को नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को लेकर तमाम अनियमितताएं देखने को मिल जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा घोषित लैटरल एंट्री का नतीजा सबके सामने है। नया घोटाला उत्तर प्रदेश में सामने आया है, जिसमें बहुजन समाज के युवाओं की तकरीबन 6000 नौकरियां साजिश के तहत सवर्ण समाज के युवाओं को दे दिया गया है। उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा है कि परिषदीय प्राइमरी स्कूलों के लिए निकली 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती में रिजर्वेशन के नियमों का पालन ठीक से नहीं किया गया।
रिक्रूटमेंट प्रोसेस में रिजर्वेशन को लेकर बड़े स्तर पर हुई इस गड़बड़ी की शिकायत राष्ट्रपति और राज्यपाल तक पहुंची थी। OBC और SC समाज के तमाम अभ्यर्थियों ने विरोध जताते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। तब जाकर जांच शुरू हुई और इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति ने इस मामले में एक अंतरिम रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि हर जिले की लिस्ट में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है और आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स की जगह गैर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है। यानी बहुनजों की नौकरी सवर्णों को दे दी गई है।
इस घोटोले को लेकर हर ओर से सवाल उठ रहा है और योगी सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। और ऐसा नहीं है कि ऐसा अनजाने में हो गया है। दरअसल इस भर्ती प्रक्रिया में अंतिम तौर पर जारी किए गए सफल कैंडिडेट्स की लिस्ट में कैंडिडेट्स की कैटेगरी का उल्लेख ही नहीं किया गया है। यानी कि लिस्ट में बताया ही नहीं गया कि चयनित होने वालों में कौन एससी वर्ग से है, कौन ओबीसी है और कौन सामान्य वर्ग से है। हालांकि जब सभी लिस्ट को जिलेवार प्रकाशित किया गया था तो उनमें चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी भी बताई गई थी और यहीं से मामला सामने आ गया।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष द्वारा जारी की गई अंतरिम रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी जिलों में प्रकाशित लिस्ट और कैंडिडेट्स की कैटेगरी को लेकर चयन प्रक्रिया में काफी बड़े लेवल पर अनियमितता पाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि OBC को 18,598 सीटें मिली थीं, लेकिन उनके हिस्से की 5844 सीटें गैर आरक्षित वर्ग को दे दी गई है। जो सूचना सामने आ रही है उसके मुताबिक 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण के नियमों का घोर उल्लंघन हुआ है। OBC को 27% की जगह मात्र 21% और SC-ST को 22.5% की जगह सिर्फ 18% आरक्षण दिया गया है जो असंवैधानिक है। हालांकि इस मामले में 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके बाद साफ हो पाएगा कि यह घोटाला कितने बड़े स्तर का है।
निश्चित तौर पर प्रदेश का मुखिया होने के नाते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी सवाल उठता है, क्योंकि योगी एक कड़े प्रशासक माने जाते हैं और उनकी सहमति और जानकारी के बिना इतना बड़ा नौकरी घोटाला संभव नहीं है। और अगर यह घोटाला उनकी नाक के नीचे हुआ है तो सवाल उनकी नेतृत्व क्षमता पर उठता है। सवाल उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या पर भी उठता है, क्योंकि वह पिछड़े वर्ग से आते हैं और अगर इसके बावजूद वह पिछड़े वर्ग के ही हितों की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं, तो संभवतः वह भाजपा की सरकार में रबर स्टैंप के अलावा कुछ भी नहीं हैं।
इस नौकरी घोटाले के सामने आने के बाद भाजपा सरकार को वोट देने वाले उन पिछड़े और दलित समाज के युवाओं को भी एक बार समझना होगा कि वो जिस भाजपा को वोट देकर सत्ता में लाए थे, और वह जिनसे ‘अच्छे दिन’ लाने की उम्मीद लगाए बैठे थे, दरअसल वह उनकी नहीं, सिर्फ सवर्णों की परवाह करती है। क्योंकि यह सरकार उन्हें नौकरी देने की बजाय उनकी नौकरियां छीनकर ऊंची जाति के लोगों को दे रही है। ऐसे में वक्त आ गया है कि बहुजन युवा यह समझें कि उनके हितों की रक्षा कौन सा राजनैतिक दल और कौन सा नेता कर सकता है।
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।