पटना। उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बेटे की शादी में घुसकर मारने के बयान के बाद पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव के एक बयान ने सोमवार को एक बार फिर बवाल मचा दिया. इस बार तेजप्रताप के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे. राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद की जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा हटाने से भड़के तेजप्रताप यादव ने कहा कि लालूजी का मर्डर कराने की साजिश रची जा रही है और हमलोग इसका मुहंतोड़ जवाब देंगे और नरेंद्र मोदी का हम खाल उधड़वा लेंगे.
#WATCH: Lalu Yadav’s son Tej Pratap responds to question on his father’s security downgrade, says, ‘Narendra Modi Ji ka khaal udhedva lenge’ pic.twitter.com/FER7rIBjoK
— ANI (@ANI) November 27, 2017
तेजप्रताप का यह बयान आने के बाद पटना का राजनीतिक पारा अचानक से चढ़ गया. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा तेजप्रताप को पागल, दिवालिया घोषित कर पागलखाने या जेल भेजेने की बात कह डाली. चौबे ने कहा कि पीएम को भद्दी गालियां देना असंवैधानिक है. इससे ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष और लालू यादव के छोटे बेटे बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी आरोप लगाया कि उनके पिता की हत्या की साजिश रची जा रही है और अगर उन्हें कुछ होता है तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार होगी.
उधर, डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र की सरकार ने क्या आंकलन किया है ये तो मुझे मालूम नहीं है लेकिन शायद उन्हें (लालू प्रसाद) ये लग रहा होगा कि उनका रुतबा कम हो जाएगा. मुझे तो वो डरपोक बताते थे क्या उनकी सारी हेकड़ी इसी सुरक्षा के चलते थी? वैसे भी लालू को किस बात का डर है. उनसे तो बिहार को डर लगता है.
सुशील मोदी ने कहा कि तेजप्रताप की भाषा जनता देख रही है और अभी सत्ता गई है, बाद में विधायकी भी जाएगी. सोनिया गांधी ने भी मोदी जी को मौत का सौदागर कहा था आज देख लीजिए उनका हाल. दूसरी ओर लालू प्रसाद, शरद यादव और जीतन राम मांझी की सुरक्षा कम करने या हटाने पर जदयू ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार सुरक्षा की जरूरत के हिसाब से फैसला लेती है. जरूरत के हिसाब से सुरक्षा श्रेणी घटाया और बढ़ाया जाता है, यह रुटीन काम है. जरूरत पड़ी तो केंद्र फिर सुरक्षा बढ़ा सकती है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।