नई दिल्ली। बिहार महादलित विकास मिशन में हुए ट्रेनिंग घोटाले पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘नीतीश जी कैसे मुख्यमंत्री हैं, हर दूसरे दिन इनकी नाक के नीचे घोटाले होते रहते हैं. ईमानदारी का चोला ओढ़कर घोटाले करवाते रहते हैं दलितों के विकास के करोड़ों रुपये डकार गए.’
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी नीतीश कुमार पर हमला बोला है. तिवारी ने एक बयान में कहा कि नीतीश सरकार घोटालों का रिकॉर्ड बना रही है. धान ख़रीद घोटाला, गर्भाशय घोटाला, मेधा घोटाला, दलित छात्रों की छात्रवृत्ति का घोटाला, सृजन घोटाला और अब महादलित मिशन में घोटाला. ये घोटाले उजागर हुए हैं. और न जाने कितने घोटाले उजागर होने के इंतजार में होंगे.
नीतीश जी कैसे CM है हर दूसरे दिन इनकी नाक के नीचे घोटाले होते रहते है? ईमानदारी का चोला ओढ़कर घोटाले करवाते रहते है? दलितों के विकास के करोड़ों रू डकार गए।https://t.co/LeVRExfLt7
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 31, 2017
शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर घोटाला उजागर होने के बाद नीतीश कुमार का रटा-रटाया वक्तव्य होता है, जांच का आदेश दे दिया गया है, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, फिर कुछ अंतराल के बाद नया घोटाला सामने आ जाता है. बिहार के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार का घुन लग गया है, जहां हाथ डालिए वहीं पोल मिलता है. नीतीश कुमार का रुतबा और इक़बाल लगभग समाप्त हो गया है.
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इस घोटाले में तीन आईएएस अधिकारी सहित दस लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिसके बाद से मुख्य आरोपी आईएएस एसएम राजू अपने विभाग और आवास से गायब हो गये हैं. सामान्य प्रशासन विभाग ने आईएएस एसएम राजू को उपस्थित होकर नोटिस लेने और जवाब देने का निर्देश दिया है. ट्रेनिंग घोटाले की शिकायत वर्ष 2016 में निगरानी ब्यूरो को मिली थी. इसमें अब तक चार करोड़ 25 लाख रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है. आशंका जतायी गयी है कि यह राशि और भी ज्यादा हो सकती है.
महादलितों के विकास के लिए सरकार ने 2007 में महादलित विकास मिशन का गठन किया था. इस पूरे मामले में हुई अब तक की जांच में तीन तरह से की गयी धांधली सामने आयी है. जिन ट्रेनिंग सेंटरों में दलित छात्रों का नामांकन एक जिले में किया गया है, उन्हीं छात्रों का नाम दूसरे, तीसरे और चौथे ट्रेनिंग में दर्ज करवा कर पैसे निकाल लिये गये. इस तरह एक छात्र के नाम पर कई बार रुपये निकाले लिये गये. इसके अलावा कई ऐसी एजेंसियों को ट्रेनिंग सेंटर दे दिया गया, जो सिर्फ कागज पर ही मौजूद हैं. इनका हकीकत में कोई अता-पता ही नहीं है.

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