केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में हुए जाति जनगणना में मुस्लिम और यादवों की संख्या जानबूझ कर ज्यादा बताने का आरोप लगाया है। वहीं दूसरी ओर अमित शाह ने अति पिछड़ों की संख्या को कम कर के गिनने का आरोप लगाया। रविवार 5 नवंबर को बिहार के मुजफ्फरपुर पहुंचे शाह ने कहा कि ऐसा लालू यादव के दबाव में किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बिहार की जाति जनगणना का श्रेय भाजपा को भी जाता है क्योंकि इसका निर्णय तब हुआ था जब सरकार में नीतीश कुमार के साथ भाजपा थी।
वहीं दूसरी ओर अमित शाह के इस आरोप पर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पलटवार किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि अमित शाह झूठ व भ्रम फैला रहे हैं। तेजस्वी ने पांच बिन्दुओं को सामने रखकर अमित शाह को करारा जवाब दिया है। तेजस्वी ने गृहमंत्री अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा-
1. अगर बिहार के जातीय सर्वे के आँकड़े गलत है तो केंद्र सरकार पूरे देश और सभी राज्यों में जातीय गणना करा अपने आँकड़े जारी क्यों नहीं करती?
2. BJP शासित राज्यों में BJP जातिगत गणना क्यों नहीं कराती?
3. केंद्र सरकार में कितने 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 कैबिनेट मंत्री है और कितने गैर 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓? इसकी सूची जारी करें। खानापूर्ति के लिए इक्का-दुक्का मंत्री है भी तो उन्हें गैर-महत्त्वपूर्ण विभाग क्यों दिया हुआ है?
4. BJP के कितने मुख्यमंत्री 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 है? पिछड़ा और गैर-पिछड़ा मुख्यमंत्री का तुलनात्मक प्रतिशत बताएँ?
5. BJP के बिहार से केंद्र में कितने पिछड़ा और अतिपिछड़ा 𝐂𝐀𝐁𝐈𝐍𝐄𝐓 मंत्री है? 𝐙𝐄𝐑𝐎 है 𝟎?
जवाब देंगे, तो आपके साथ-साथ हिंदुओं की 𝟖𝟓% पिछड़ा और दलित आबादी की भी आँखें खुल जायेंगी।
मा॰ गृहमंत्री अमित शाह जी झूठ व भ्रम फैलाने की बजाय बताएँ कि:-
1. अगर बिहार के जातीय सर्वे के आँकड़े गलत है तो केंद्र सरकार पूरे देश और सभी राज्यों में जातीय गणना करा अपने आँकड़े जारी क्यों नहीं करती?
2. BJP शासित राज्यों में BJP जातिगत गणना क्यों नहीं कराती?
3. केंद्र सरकार… pic.twitter.com/QNxibHbdtf
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 5, 2023
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।