सहारनपुर की हालिया घटना ने पीड़ित अग्नि भास्कर का भ्रम तोड़ दिया है. पहले उन्हें लगता था कि संविधान निर्माण करने और भारत के निर्माण में अपना महत्पूर्ण योगदान देने के कारण बाबासाहेब अम्बेडकर को हर वर्ग के लोग मानते होंगे. लेकिन बाबासाहेब के प्रति जातिवादी सवर्णों की नफरत देखकर भास्कर का भ्रम टूट गया है.
भास्कर उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि हमलावर बाबा साहेब मुर्दाबाद और योगी-जोगी ज़िन्दाबाद के नारे लगा रहे थे. हमें गाली देते हुए उन्होंने बोला कि अम्बेडकर का नाम मत लेना तुम लोग और न मूर्ति लगाने के बारे में सोचना. अगर यहां रहना है तो योगी-मोदी बोलो.
सहारनपुर में सवर्णों की यह मानसिकता भाजपा की सरकार बनने के बाद अचानक उभर कर आई है. जो लोग कल तक सपा के शासनकाल में गुंदागर्दी को लेकर उन्हें घेरते थे, वो आज खुद कठघरे में खड़े हैं. इस मामले के सामने आने के बाद हैरान करने वाली बात यह है कि जो भाजपा गुंडागर्दी और कानून व्यवस्था के नाम पर समाजवादी पार्टी को लगातार कठघरे में खड़ा करती थी, आज वही इस पूरे सच और पुलिसकर्मियों की भूमिका पर चुप्पी साधे हुए है.

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