कोरेगांव। पांच सौ महार सैनिकों द्वारा 28 हजार पेशवाओं को धूल चटाकर भारत में पेशवाई का खात्मा कर देने वाले भीमा कोरेगांव के युद्ध का जश्न मनाने पहुंचे लोगों पर हमले की खबर है. महाराष्ट्र के पुणे से 30किलोमीटर दूर भीमा कोरेगांव में हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय के लोग शौर्य दिवस मनाने पहुंचते हैं. इस साल शौर्य दिवस के 200 साल पूरा होने के कारण देश भऱ से भारी संख्या में अम्बेडकरवादी पहुंचे थे. इस दौरान अचानक दोपहर को हिन्दुवादी संगठनों ने भीड़ पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
भीड़ पर पत्थरबाजी के साथ ही हाथों में भगवा झंडा लिए एक दल ने कोरेगांव में शौर्य स्थल की तरफ जा रही गाड़ियों पर भी हमला कर दिया, जिसमें 40 से ज्यादा गाड़ियों के शीशे टूट गए. पुलिस के मुताबिक जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो दोपहर में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं. पुलिस के मुताबिक हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हो गई. बहस के बाद पथराव शुरू हुआ. हालात इतने बिगड़ गए थे कि पुलिस के लिए स्थिति को संभालना काफी मुश्किल हो गया. एक व्यक्ति की मौत होने से पूरे इलाके में स्थिति तनावपूर्ण है. घटना के बाद नाराज दलित संगठनों ने 5 जनवरी को विरोध करने की घोषणा की है.
खबर यह भी है कि रविवार 31 दिसंबर को दलित और लेफ्ट संगठन के लोगों ने शनिवार वाड़ा में अम्बेडकरवादियों को संबोधित किया था. शनिवार वाड़ा पेशवाई गद्दी रही है. इसके बाद से ही स्थिति बिगड़ गई थी. पुलिस ने रविवार को ही मामला संभालने की कोशिश करते हुए इलाके में धारा 144 लगा दिया था. हालांकि शौर्य दिवस मनाने पहुंचे लोगों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन ने स्थानीय लोगों को छूट दे दी थी, जिसके बाद हिंसा भड़की.
पुलिस की लापरवाही की बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने पहले ही शनिवार वाडा में जश्न मनाए जाने को लेकर आपत्ति जताई थी. ब्राह्मण महासभा ने मांग कि थी कि दलितों को पेशवाओं की ड्योढ़ी ‘शनिवार वाडा’ में प्रदर्शन करने की अनुमति न दी जाए. बावजूद इसके पुलिस सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में नाकाम रही. कुल मिलाकर इस घटना से अम्बेडकरवादियों की बढ़ती ताकत से बौखलाए हिन्दुवादी संगठनों की कुलबुलाहट सामने आ गई है.
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