पिछले कुछ दिनों के भीतर प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए दो प्रश्नों ने जातिवाद को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. ये सवाल जहां प्रश्नों का चुनाव करने वालों की मानसिकता पर सवाल खड़े करता है तो वहीं इन प्रश्नों को परीक्षा में पूछने की स्वीकृति देने वाले परीक्षा बोर्ड की मंशा पर भी सवाल उठाता है. दरअसल पूछे गए प्रश्न एक विशेष जाति और वर्ग को अपमानित करने वाले हैं.
जरा आप भी इन प्रश्नों को देखिए.
एक प्रश्न दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा पूछा गया है. बोर्ड ने दिल्ली में प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित किया था. इसके प्रश्न पत्र में 200 सवाल पूछे गए थे. इसमें से हिंदी भाषा और बोध के तहत प्रश्न संख्या 75 में पूछा गया प्रश्न विवाद खड़ा करने वाला था. प्रश्न अनुसूचित जाति से संबंधित था. आप खुद देखिए-
सवाल था की … कौन सामाजिक सीढ़ी में सबसे नीचे की श्रेणी में आते हैं और इनके दायित्व में तीन वर्णों की सेवा करना सम्मलित है.”
तो वहीं एक अन्य प्रश्न में तो सीधे तौर पर एक दलित जाति को निशाना बनाया गया है. इसमें पर्यायवाची शब्द का सवाल पूछा गया है कि
जब पंडित का पर्यायवाची पंडिताइन होता है तो चमार का क्या होगा?
प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा गया ये सवाल समाज के भीतर गहरे तक समाए जातिवाद के सच को नंगा करता है. सवाल यह भी उठता है कि जिन लोगों पर प्रश्नों को तैयार करने की जिम्मेदारी थी वो कौन लोग थे और क्या सरकार और संबंधित आयोग को उनके खिलाफ करवाई नहीं होनी चाहिए?
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अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।
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