अहमदाबाद गुजरात में चुनाव प्रचार थमने के बाद अब बारी मतदाताओं की है. दूसरे चरण में राज्य के 14 जिलों की 93 सीटों पर 14 दिसंबर यानि कल वोटिंग होनी है. जहां चुनाव होने हैं, उनमें मध्य गुजरात में अहमदाबाद, दाहोद, खेड़ा, आणंद, पंचमहल और वडोदरा जिले हैं. जबकि उत्तर गुजरात में गांधीनगर, बनासकांठा, साबरकांठा, अरवली, मेहसाना, छोटा उदयपुर अलवल्ली और पाटन जिले में चुनाव होना है. दूसरे दौर की 93 सीटों में से 54 सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं, तो वहीं 39 सीटें शहरी है.
2012 के चुनाव की बात करे तो शहरी सीटों पर भाजपा मजबूत रही जबकि ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव रहा. लेकिन इस बार सियासी माहौल बदला हुआ है. और इसमें सबसे बड़ी भूमिका उन तीनों युवाओं की है, जो आंदोलन की राह पकड़ कर चुनावी राजनीति में उतर गए हैं. आखिरी चरण में इन तीनों युवा नेताओं यानि की हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर की असली परीक्षा है. जहां तक ओबीसी नेता अल्पेश की बात है तो कांग्रेस में शामिल होने के बाद वह खुद अपने 7 समर्थकों के साथ चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में अल्पेश के सामने इन सभी सीटों पर चुनाव जीतने का दबाव होगा, क्योंकि यह जीत गुजरात की राजनीति में उनके कद को नापेगी.
वहीं दूसरी ओर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के साथ मिलकर ही वडगाम सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन भाजपा की घेराबंदी के बाद वह चुनाव प्रचार के लिए अपनी सीट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उनके सामने दलित वोटों को कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद करने की चुनौती होगी. तीनों युवाओं में सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले युवा तुर्क हार्दिक पटेल हैं और भाजपा सबसे ज्यादा इन्हीं से डरी हुई है. इस पाटिदार युवा नेता ने भाजपा के खिलाफ जोरदार ढंग से झंडा बुलंद किया है. इस दौर में वहीं चुनाव होने हैं, जो इलाके पटेल आरक्षण आंदोलन की गवाह बनी थी. देखना होगा कि भाजपा के रथ को रोकने में ये तीनों युवा तुर्क कितने कामयाब हो पाते है.