सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच सेलिब्रिटी बन चुकी आईएएस टॉपर रहीं और फिलहाल राजस्थान के जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी फिर से चर्चा में हैं। दरअसल टीना डाबी ने पाकिस्तान से भारत आए लोगों को लेकर जो फैसला लिया है, उससे वह सरकार के निशाने पर हैं। हुआ यह है कि जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी ने पाकिस्तान से आए पचास से ज्यादा परिवारों को घर उजार दिये। जिसके बाद गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने टीना डॉबी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेकिन वहीं दूसरी ओर जिन लोगों के घर उजारे गए हैं, वह टीना डाबी को दुआएं दे रहे हैं।
दरअसल पाकिस्तान से भारत के राजस्थान के जैसलमेर में 50 से ज्यादा विस्थापित परिवार प्राइम लैंड और केचमेंट एरिया के साथ ही अलॉटमेंट लैंड पर काबिज हो गए थे। जिला प्रशासन ने उन्हें अप्रैल में ही हट जाने का आदेश दिया था। लेकिन विस्थापितों ने प्रशासन की बात नहीं मानी। इस पर प्रशासन ने कलेक्टर टीना डाबी के आदेश पर विस्थापितों के अवैध मकानों को ढहा दिया।
टीना डाबी का कहना था कि, केचमेंट का यह एरिया प्राइम लोकेशन है और इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा है, साथ ही यहां पर अतिक्रमण करने से तालाब के पानी के लिए भी ठीक नहीं होने की बात सामने आने पर हमने विस्थापितो को हटाया है। क्योंकि ऐसी आशंका थी कि इसमे भू-माफियाओं की भी भूमिका हो सकती थी।
हालांकि विस्थापितों को हटाने के बाद ही मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया। हालांकि जिन विस्थापितों को टीना डाबी ने हटाया था और उनके घरों को प्रशासन ने जमींदोज कर दिया था, वही अब कलेक्टर मैडम की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। जो विस्थापित पाकिस्तान से भारत आए थे, उनमें बड़ी आबादी वंचित समाज के लोगों की है। ज्यादातर लोग भील समाज के हैं।
पाकिस्तान के रहिमियार खान से भारत आए अजीत राम का कहना है कि, भारत आए तीन महीने हो गए हैं। हमारे पास जो भी था, बेच कर भारत आ गए। यूआईटी ने कच्चे मकान तोड़ दिये तो जैलसमेर प्रशासन जिला कलेक्टर टीना डाबी ने हमारी पुकार सुनी है। उन्होंने रहने को जगह दी है और खाने-पीने की व्यवस्था भी की है। हम खुश हैं।
एक अन्य विस्थापित कुर्बान राम का कहना था कि जिला कलेक्टर टीना डाबी ने हमारे भील समुदाय पर दया दिखाते हुए मानवता की मिसाल पेश की है। कुर्बान राम ने टीना डाबी का धन्यवाद भी किया।
बता दें कि टीना डाबी ने जिस तरह इस मामले को सुलझाया, उससे उनकी चारो ओर तारीफ हो रही है। उन्होंने विस्थापित पाकिस्तानी परिवारों की मदद के लिए प्लॉन बनाया है। जल्दी ही जमीन की तलाश कर इन परिवारों को वहां बसाया जाएगा। फिलहाल उन्हें रैन-बसेरे में शरण दी गई है।
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