हजारीबाग। 70 वर्षीय अमरावती कुंवर अकेली रहने वाली बुजुर्ग महिला है. दो दशक पहले मिले बिरसा आवास में रहती हैं, जो पूरी तरह जर्जर है. किसी भी वक्त छत का टुकड़ा गिर सकता है. इस बात का डर हमेशा उन्हें सताता है. अमरावती कुंवर का कहना है कि कई बार प्रखंड कार्यालय गई लेकिन किसी ने नहीं सुना. अमरावती का यह अनुभव कोई अकेला नहीं. दरअसल पलामू के चैनपुर प्रखंड में आज भी आदिवासी परिवार बदहाल जीवन जीने को विवश हैं.
रानीताल गांव में दो दर्जन से अधिक परहिया आदिवासी परिवार पिछले कई सालों से टूटे फूटे झोपड़े व बिरसा आवास में रहने को मजबूर हैं. रहने का समुचित व्यवस्था नहीं. कोई झुग्गी-झोपड़ियों में वास कर रहे हैं तो कई दो दशक पूर्व मिले बिरसा आवास में. बिरसा आवास पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. उसमें रहने वालों को डर सताता रहता है कि कभी भी भवन का छत गिर जाएगा के दिनों में ज्यादा परेशानी होती है. इस बात को लेकर पहिया परिवार पिछले कई सालों से प्रखंड कार्यालय व मुखिया का चक्कर काट रहे हैं. मगर उन्हें अभी तक बिरसा आवास हो या इंदिरा आवास का लाभ नहीं मिला.
क्षेत्रीय विधायक आलोक चौरसिया से पूछने पर उन्होंने कहा कि मामला आपके द्वारा संज्ञान में आया है तो जरूर उन आदिवासी परिवारों से मिलकर उनके हालात का जायजा लेंगे और प्रधानमंत्री के आवास योजना का लाभ उन्हें दिया जाएगा. अब देखने वाली बात होगी कि विधायक के द्वारा इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ कब तक मिल पाएगा.
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