Friday, April 25, 2025
HomeTop Newsएशियाड में पदक जीत आदिवासी खिलाड़ी ने देश को दिलाया गौरव

एशियाड में पदक जीत आदिवासी खिलाड़ी ने देश को दिलाया गौरव

नई दिल्ली। ओडिशा के जो आदिवासी इलाके अभी तक नक्सली हिंसा के लिए चर्चा में थे, अब वे दुति चंद की वजह से सुर्खियों में है. जकार्ता में चल रहे एशियाड खेलों में दुति चंद ने रजत पदक जीता है. दुति स्वर्ण पदक जीतने से महज 0.02 सेकंड से पिछड़ गई. इस शानदार खिलाड़ी की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरे दो दशक बाद भारत के किसी खिलाड़ी ने 100 मीटर की रेस में कोई पदक जीता है. दुति ओडिशा से हैं और आदिवासी हैं.

दुति के साथ ही जिन दो और महिला खिलाड़ियों से देश को पदक की उम्मीद है, उनका नाम जौना मुर्मू और पूर्णिमा हेम्ब्रम है. ये दोनों भी आदिवासी हैं और ओडिशा की हैं. जहां तक दुति की बात है, वो 2016 के रियो ओलिम्पिक में भी फर्राटा दौड़ी थीं. दुति की सफलता में उस माहौल का खासा योगदान है जिसमें वो पली-बढ़ी हैं.

आदिवासी समाज में खेल को लेकर एक खास तरह का रुझान होता है. जंगल की विपरीत परिस्थितियां, मीलों चलकर पानी लाने की मजबूरी, जंगली जानवरों और प्राकृतिक कहर उन्हें चट्टान सा मजबूत बना देता है. इसलिए आदिवासी कुदरती तौर पर खिलाड़ी होते हैं. लेकिन उनको मौकों की कमी और संसाधन के अभाव से जूझना पड़ता है.

हालांकि इस बीच ओडिशा के भुवनेश्वर में चल रहा कलिंगा संस्थान इन आदिवासी खिलाड़ियों के लिए वरदान साबित हुआ है. इस संस्थान की नींव पेशे से शिक्षक अच्युत सावंत ने रखी है. सावंत उन हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हैं, जो सावंत के न होने पर शायद माओवादिओं की गिरफ्त में होतें.

दुति की सफलता जहां देश के लिए गौरव की बात है तो साथ साथ उन आदिवासी बच्चों के लिए एक प्रेरणा भी है जो आज भी मुख्यधारा में आने के लिए छटपटा रहे हैं.

Read it also- दलित संगठनों की 25 अगस्त को महाबैठक

  • दलित-बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए और हमें आर्थिक सहयोग करने के लिये दिए गए लिंक पर क्लिक करेंhttps://yt.orcsnet.com/#dalit-dast

लोकप्रिय

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content