अंबेडकरी आंदोलन दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। दलित समाज के अलावा अब आदिवासी समाज और पिछड़ा समाज भी इस आंदोलन से जुड़ने लगा है। लोग हर मौके पर इस समाज के उद्धारक बाबासाहब आंबेडकर को याद कर रहे हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश में एक आदिवासी जोड़े ने संविधान और बाबासाहब डॉ. आंबेडकर को साक्षी मानकर एक-दूसरे का हाथ थामा।
यह शानदार खबर मध्य प्रदेश के खरगौन से आई है। यहां आदिवासी समाज के युवक इकराम आरसे और नाइजा ने शादी के मंडप में संविधान की शपथ लेकर साथ मिलकर नया जीवन जीने की घोषणा की। यह शादी जिले के भगवानपुरा क्षेत्र के ग्राम ढाबला में हुई। इस जोड़े ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, बिरसा मुंडा और क्रांतिकारी टंट्या मामा को साक्षी मानकर संविधान की शपथ ली।
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जानकारी के मुताबिक युवक इकराम पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर हैं। इकराम के मुताबिक, “वे शहर में एक वर्ष पहले एक विवाह समारोह में शामिल हुए थे। इस समारोह में उन्होंने युवक-युवती को संविधान की शपथ लेकर वैवाहिक जीवन की शुरूआत करते हुए देखा था। इसके बाद उनके मन में भी यही विचार घर कर गया और उन्होंने भी तय कर लिया कि वह अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत भी संविधान की शपथ लेकर करेंगे। जब शादी तय हुई तो उन्होंने अपनी पत्नी को भी अपनी इच्छा बताई।” खास बात यह है कि जहां तमाम लड़कियां अपनी शादी में भव्य आयोजन चाहती हैं, वहीं नाइजा उनके प्रस्ताव पर बहुत खुश दिखीं।
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यह शादी 15 जनवरी को संपन्न होने की जानकारी है। यह शादी इस मायने में भी खास है क्योंकि आदिवासी समाज भी अब बाबासाहब आंबेडकर के योगदान को समझने और मानने लगा है। विवाह के रस्म का समापन बुद्ध वंदना से हुआ। इस शादी में आस-पास के क्षेत्र के तमाम बुद्धिजीवी मौजूद रहें।
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