राष्ट्रमंडल खेलों के पहले ही दिन भारत ने अपना खाता खोलते हुए रजत पदक जीत लिया है. पहला पदक भारोत्तोलक पी गुरुराजा ने जीता. गुरुराजा को रजत पदक मिला है. कर्नाटक के छोटे से गांव से आने वाले 25 साल के गुरुराजा ने पुरुषों के 56 किलो वर्ग में रजत पदक जीता. इससे पहले गुरुराजा अपने दो प्रयासों में विफल हो गए थे लेकिन आखिरी प्रयास में उन्होंने अपनी पूरी कोशिश के साथ पदक अपने और देश की झोली में डाल लिया.
जीत के बाद उन्होंने कहा कि पहले दो प्रयास में विफल होने के बाद उन्होंने देश और परिवार को याद किया, जिससे उन्हें भार उठाने का हौसला दिया. गुरुराजा ने कहा, ‘जब मैं पहले दो प्रयास में विफल रहा था, तब मेरे कोच ने मुझे समझाया कि मेरे लिए जीवन का काफी कुछ इस प्रयास पर निर्भर करता है. मैंने अपने परिवार और देश को याद किया.
राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण कर रहे गुरुराजा ने अपना सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन दोहराते हुए 249 किलो (111 और 138) वजन उठाया. गुरुराजा स्नैच के बाद तीसरे स्थान पर थे, जिन्होंने दो प्रयास में 111 किलो वजन उठाया. क्लीन और जर्क में पहले दो प्रयास में वह नाकाम रहे, लेकिन आखिरी प्रयास में 138 किलो वजन उठाकर रजत सुनिश्चित किया.
ट्रक ड्राइवर के बेटे गुरुराजा पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन कोच की पैनी नजरों ने उनमें भारोत्तोलन की प्रतिभा देखी और इस खेल में पदार्पण कराया. गुरुराजा भारतीय वायुसेना के निचली श्रेणी के कर्मचारी हैं. देश के पिछड़े क्षेत्रों में आने वाली जीवन की सारी समस्याओं को देखा है. उन्होंने आठ भाई-बहन के परिवार का भरण पोषण करने वाले अपने ट्रक चालक पिता को काफी मेहनत करते हुए देखा है.

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