उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में आंबेडकर जयंती के दिन बाबासाहेब की प्रतिमा के अपमान से आहत दलितों ने बड़ा ऐलान कर दिया। योगी सरकार की पुलिस की कार्रवाई से नाराज बौद्ध महासभा ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन 20 हजार दलितों के हिन्दू धर्म को ठोकर मार कर बौद्ध धर्म अपनाने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और वह दलितों के हाथ पांव जोड़ने लगी। अंबेडकरी समाज के लोगों ने प्रशासन के सामने अपनी मांगे रखी, जिसके पूरा होने के बाद धर्मांतरण की घोषणा को वापस ले लिया गया।
मामला यूपी के हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे का है। यहां के त्रिवेणी मैदान में एक समझौते के तहत भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई थी, लेकिन कस्बे के ही कथित ठाकुर जाति के व्यक्ति ने अमर सिंह ने समझौते से मुकरकर मामले की शिकायत पुलिस से की थी।
आरोप है कि पुलिस ने जातिवादियों के साथ मिलकर प्रतिमा को 13 अप्रैल की देर रात को वहां से हटा दिया। जिसके बाद अंबेडकरी समाज के लोगों ने पूरी रात धरना दिया। इस संघर्ष में दलित समाज की कई महिलाएं घायल हो गई। घटना से गुस्साए बाबा साहेब के सैकड़ों अनुयायियों ने कानपुर-सागर नेशनल हाइवे जाम कर कई घंटे तक हंगामा किया था। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के समझाने और आश्वासन के बाद साढ़े छह घंटे बाद दलितों ने हाइवे छोड़ा था। खिंचतान के बीच दलितों ने धर्मांतरण की घोषणा कर दी। तब जाकर पुलिस ने प्रतिमा वापस की और 14 अप्रैल को बाबासाहेब की प्रतिमा स्थापित की गई।
इस घटना के बाद दलित समाज के स्थानीय लोगों के बीच हिन्दू धर्म को त्यागने और बौद्ध धर्म को अपनाने की चर्चा तेज हो गई और आस-पास के 20 हजार दलितों ने आगामी 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा के दिन हिन्दू धर्म छोड़ने की घोषणा कर दी। बौद्ध महासभा ने इसकी कमान संभाली। धर्म परिवर्तन के मामले को लेकर खुफिया विभाग भी हरकत में आ गया है। दलितों को हर तरह से मनाने की कोशिश की जाने लगी। उनके मुकदमें वापस ले लिये गए साथ ही बाबासाहेब की प्रतिमा से भविष्य में कोई भी छेड़छाड़ नहीं करने का आश्वासन दिया गया। प्रशासन ने अंबेडकरी समाज के लोगों को हर तरह से धर्मांतरण की जिद को छोड़ने का दबाव बनाया। फिलहाल स्थानीय लोगों ने धर्मांतरण के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है।
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