बुलंदशहर, यूपी। आपको याद होगा साल 2018 में 20 मार्च दिन। जब एससी-एसटी एक्ट कानून में संशोधन के खिलाफ दलित समाज गुस्से में था। इसके खिलाफ दो अप्रैल को देश के अलग-अलग हिस्सों में दलित समाज सड़क पर उतरा था। इस दौरान हुई हिंसा में दलित समाज के 13 युवा शहीद हो गए। इन्हीं शहीदों की याद में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 53 फीट ऊंचा ‘बहुजन क्रांति स्तंभ’ बन गया है, जिसका उदघाटन आने वाले 2 अप्रैल 2023 को होने जा रहा है।
भीमा कोरेगांव के स्तंभ की तर्ज पर यह बहुजन क्रांति स्तंभ बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र स्थित सराय गांव में बनकर लगभग तैयार है। क्या है इसके बनने की कहानी, इसे कौन बनवा रहा है, यहां और क्या-क्या होगा, इस खबर में जानिये सबकुछ-
20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था। इस फैसले में SC-ST एक्ट में कई तरह का संशोधन किया गया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि SC-ST एक्ट में पब्लिक सर्वेंट की गिरफ्तारी, एंपॉयटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।
साथ ही आम लोगों को भी पुलिस कप्तान यानी एसएसपी की मंजूरी के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकेगा। जबकि इसके पहले शिकायत के बाद तुरंत गिरफ्तारी का नियम था। दलितों को समझ में आ गया कि उनके संरक्षण के लिए मिले एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है।
फिर क्या था, इस बदलाव के बाद दलित समाज के विभिन्न संगठनों ने 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद का आह्वान किया। इस दौरान लाखों लोग सड़क पर उतरे थे। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस दौरान पुलिस के साथ झड़प में 13 लोगों की मौत हो गई, जिसे दलित समाज ने शहीद कहा। उन्हीं की याद में यह बहुजन क्रांति स्तंभ बनाया जा रहा है।
कैसा होगा बहुजन क्रांति स्तंभ
यह स्तंभ 48 फीट ऊंचा होगा। इसके इसके ऊपर 5 फीट व्यास का अशोक चक्र होगा। ये अशोक चक्र स्टील का है। साइंस के नियम के हिसाब से ये दिन के तीन पहरों में तीन बार रंग बदलेगा। यह सुबह के समय नीला, दोपहर में चांदी सरीखा तो सूरज ढलने के समय सोने जैसा दिखेगा। स्तंभ के एक तरफ 2 अप्रैल के आंदोलन में शहीद हुए सभी 13 लोगों की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी, तो दूसरी तरफ अंबेडकर और बुद्ध के शिलालेख होंगे। साथ ही बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन दर्शन भी पत्थरों पर लिखा होगा।
कौन बनवा रहा है यह स्तंभ
इस कवायद के पीछे पीसीएस अधिकारी बी.पी. अशोक हैं, जो हाल ही में प्रोमोट होकर आईपीएस बने हैं। बी.पी. अशोक के पिता डॉ. देवीसिंह अशोक भी आईपीएस रहे हैं। अंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोगों के लिए बी.पी. अशोक जाना पहचाना नाम हैं। सराय गांव जहां यह स्तंभ बन रहा है, वह बी.पी. अशोक का पैतृक गांव है। एससी-एसटी एक्ट के बाद हुई हिंसा से दुखी होकर उन्होंने राष्ट्रपति को इस्तीफे की भी पेशकश कर दी थी।
बी.पी. अशोक का कहना है कि बहुजन क्रांति स्तंभ राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक होगा। फिलहाल 2 अप्रैल को इसके उद्घाटन के मौके पर हजारों लोगों के जुटने की खबर है। फिलहाल यह स्तंभ इस पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।
Jay bhim namo buddha