मैं बाबासाहेब की बहुत बड़ी फॉलोअर हूं- टीना डाबी

teenaटीना डाबी सिर्फ 22 साल की आर्ट्स ग्रेजुएट हैं और उन्होंने यूपीएससी 2015 में टॉप किया है. टीना दलित समुदाय से आती हैं. टीना दो बहन हैं और माता पिता दोनों इंजीनियर हैं. टीना ने पहली बार में ही यूपीएससी में टॉप किया है. टीना की इस सफलता को बहुजन समाज के लिए बड़ी बात मानी जा रही है क्योंकि अबतक दलित समुदाय से किसी महिला ने यूपीएससी में टॉप नहीं किया था. टीना के जो शुरुआती इंटरव्यू आएं उसको लेकर वह विवादों में भी रहीं. कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई की टीना ने बाबासाहेब का नाम नहीं लिया. तो फेसबुक और ट्विटर पर उनके फेक प्रोफाइल के जरिए आने वाले आरक्षण विरोधी संदेश और पीएम मोदी को आदर्श मानने की बात से भी वो विवादों में रही. हालांकि दलित दस्तक को दिए इंटरव्यू में टीना ने इन बातों को साफ कर दिया है. टीना खुद को बाबा साहेब अंबेडकर की बहुत बड़ी फॉलोअर बताती हैं. वहीं वह महिला उत्थान के लिए काम करने की बात कहती हैं. टीना डाबी से बात की शंभु कुमार सिंह  ने-

टीना दलित दस्तक की तरफ से बधाई

– थैंक्स

22 साल की उम्र में पहला अटैंप्ट और सीधा टॉप, भरोसा था?

– रिजल्ट जानने के बाद बहुत खुशी हुई. परीक्षा देने के बाद इतनी उम्मीद थी कि चयन तो हो जाएगा. लेकिन ये उम्मीद नहीं थी कि टॉप करूंगी. टॉप करने के बाद से लग रहा है कि कोई सपना जी रही हूं.

आपकी मम्मी ने बताया कि आपको पांचवीं क्लास से ही वर्ल्ड ग्लोब की पूरी जानकारी थी.

– मम्मी पढ़ाती थी और मैं इंटरेस्टेड रहती थी कि जितना ज्यादा हो सके देश और दुनिया के बारे में सीख सकूं. हमेशा कोशिश रहती थी कि जितना ज्यादा हो सके पढ़ाई कर सकूं.

आपके घर में इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड है लेकिन आपने आर्ट्स को क्यों चुना ?

– घर में इंजनियरिंग का माहौल था. लेकिन मुझे इंजीनियरिंग समझ नहीं आई. मैंने 10+2 में साइंस लिया था, लेकिन दो महीने बाद ही आर्ट्स में चली गई. शुरू से ही तय कर लिया था कि जब सिविल सर्विस में ही जाना है तो फिर सोशल साइंस की ही पढ़ाई की जाए. यूपीएससी में आर्ट्स वाले ज्यादा सफल रहे हैं. फिर तय किया कि आर्ट्स ही पढ़ना है.

 बहुत लोग सोचते हैं कि यूपीएससी करनेवाले लोग स्पेशल होते हैं. यह कितना सच है ?

– ऐसा कुछ नहीं है. मैं तो बिल्कुल साधारण लड़की हूं. सुपर टैलेंट की बात मैं नहीं मानती. हां, आपको मेहनत करते रहना पड़ता है. लगकर आप मेहनत करेंगे तो सफलता तय है. लगातार मेहनत करने पर सफलता मिलती ही है. बस लगे रहने पड़ता है वही मैंने किया.

टीना को आईएएस ही क्यों बनना था ?

– मेरा शुरू से ही सोशल काम में मन लगता था. मैं हमेशा से लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहती थी. मैं कॉलेज में भी अपने ही क्लास की लड़कियों को इंग्लिश पढ़ने में मदद करती थी ताकि वह भी बेहतर कर सकें. सिविल सर्विस आपको बेहतर जिंदगी और अलग करने का मौका भी देता है. आईएएस की नौकरी प्रेस्टिजियस और अच्छी है.

जॉब के लिहाज से आईएएस अच्छा है. लेकिन सिविल सर्विस में आए लोग बहुत सोशल चेंज कर पाए हैं ऐसा ज्यादा नहीं दिखता है. पत्रकारिता में तो मशहूर है कि एसडीएम, डीएम और एसपी बाघ होते हैं जिनके बारे में आम लोग कहते हैं कि वो आपको खा जाएगा.

– ऐसा नहीं है लेकिन जो बदलाव हो रहे हैं उसमें ब्यूरोक्रेट्स और सिविल सर्वेंट्स का बहुत योगदान है. काफी लोगों ने बेहतर काम किया है.

आईएएस को पैसा और पावर के लिए जाना जाता है. लेकिन आप कह रही हैं कि सोशल चेंज लाना है. पहली प्राथमिकता क्या होगी ?

– कई बार लगता है कि आईएएस के बारे में एक निगेटिव इमेज बन गई है. लेकिन अब जो लोग  सिविल सर्विस ज्वाइन कर रहे हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वह बेहतर और ईमानदारी से काम करके दिखाएं और दूसरे के लिए उदाहरण बन सके. अगर आप अच्छे अधिकारी की तरह काम करेंगे तो दूसरे भी मजबूर होंगे कि वो ईमानदारी से बेहतर काम करें.

आपकी नजरों में समाज में किस तरह के भेदभाव हैं. आप सोशल साइंस की छात्रा हैं तो इन बातों को बेहतर जानती होंगी.

– अगर भेदभाव की बात करें तो जेंडर के आधार पर काफी भेदभाव है. जाति और धर्म के आधार पर भी भेदभाव होता है. सुधार हुआ है लेकिन और तेजी से सुधार की जरूरत है.

आपने इसलिए हरियाणा को कैडर चुना है कि वहां ज्यादा असमानता है. ज्यादा भेदभाव है.

– हरियाणा में समस्याएं हैं लेकिन तेजी से सुधार भी हुआ है. हां ये सच है कि लिंग अनुपात में हरियाणा की हालत ज्यादा खराब है. ये भी सच है कि महिलाओं का मुद्दा मेरे लिए ज्यादा जरूरी हैं ऐसे में मैं काफी तेजी से वहां काम करूंगी. कोशिश करूंगी की बेहतर हालात बने.

आपने कहा कि जाति को लेकर भेदभाव है. किस तरह का भेदभाव है?

– देश में जाति को लेकर भेदभाव एक सच है. यह एक गंभीर मुद्दा है. इस पर बात करनी भी जरूरी है. लेकिन जितने सुधार हुए हैं उसपर भी बात करनी जरूरी है. इसी से आगे किस तरह सुधार हो सकता है इसे तय किया जा सकता है. मेरी कोशिश होगी कि भेदभाव को खत्म किया जा सके. सरकारी नीतियों के तहत जितने भी सुधार के कदम उठाए जा सकते हैं उसे उठाए. जिन लोगों के पास लाभ पहुंचना है उनके पास पहुंचाया जाए ताकि जल्द से जल्द भेदभाव खत्म हो.

आप सोशल साइंस की छात्रा हैं. कोई ऐसा समाज वैज्ञानिक जो भारत का हो और जिसने आप पर असर डाला हो.

– बहुत सारे समाज वैज्ञानिक हैं जिनको पढ़ती हूं. अमर्त्य सेन ने मुझे काफी प्रभावित किया है. जिस तरह से उन्होंने गरीबी, आरक्षण और सोशल जस्टिस पर लिखा है वो मुझे ज्यादा सही लगते हैं. उनकी बातों से सहमत हूं. भारत की ग्रोथ रेट पर उन्होंने बेहतरीन लिखा है.

तैयारी के लिए कोचिंग कितनी जरूरी है ?

– कोचिंग जरूरी है लेकिन कोचिंग की बदौलत ही सफल हुआ जा सकता है ये सही नहीं है. लेकिन कोचिंग से मदद जरूर मिलती है. जो कोचिंग नहीं अफोर्ड कर सकते वह अखबार पढ़कर या फिर जमकर किताबें पढ़कर सफल होते हैं. बिना कोचिंग किए भी लोग सफल होते हैं. कोचिंग जरूरी है लेकिन अंतिम सत्य नहीं है.

दिल्ली के सीएम केजरीवाल और केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात हुई. क्या बात हुई ?

– दोनों नेताओं ने बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी. दोनों इतने व्यस्त होते हैं कि उनके पास खुद के लिए भी समय नहीं होता, फिर भी मिले और शुभकामनाएं दी उसके लिए दिल से दोनों का शुक्रिया.

फैमिली का सपोर्ट कितना जरूरी है? घर का माहौल कैसा होना चाहिए ?

– परिवार का साथ बहुत जरूरी है. यूपीएससी की तैयारी एक चुनौती है. हर तीसरे दिन लगेगा का नहीं होगा. लेकिन आपको घर से और परिवार से समर्थन मिलता है तो फिर आप हिम्मत से जुट जाते हैं. इसलिए परिवार का साथ और सपोर्ट बहुत जरूरी है.

टीना मोर्डन एजुकेशन की बात करें तो सावित्री बाई फुले 1848 में पहली बार महिलाओं के लिए स्कूल खोलती हैं. उससे पहले हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं था. इस बदलाव को आप किस तरह देखती हैं?

– मुझे गर्व होता है कि एक वंचित समाज जो हमारा समाज है उसी समाज की महिला ने ही महिलाओं के लिए शिक्षा की शुरुआत की और उसे आगे बढ़ाया. सबसे बड़ी बात है कि जब आप महिला को शिक्षित करते हैं तो पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं तो ये बहुत ही बड़ा कदम था.

आपको क्या लगता है, अगर महिलाओं की शिक्षा की शुरुआत और पहले होती तो उनकी हालत और बेहतर होती ?

– हमारा समाज आज भी पुरुष प्रधान है. लेकिन धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं. बदलाव धीरे-धीरे ही होता है. लेकिन हम बेहतर हो रहे हैं. लड़कियां मौका मिलते ही बेहतर करने लगी हैं. बदलाव हो रहा है.

आप महिला सुधार की बात करती हैं. कुछ लोगों का सवाल है कि भारत में अंबेडकर ने महिलाओं के अधिकार के लिए हिंदू कोड बिल की नींव रखी. वो बराबरी के पक्षधर थे. लेकिन आपने उनका जिक्र नहीं किया, या फिर किसी ने इस बारे में पूछा ही नहीं.

– आपने बिल्कुल सही कहा. मुझसे सीधे इस तरह के सवाल ही नहीं पूछे गए. पहली बार आपने ही पूछा है. बाबा साहेब के योगदान को तो भूला ही नहीं जा सकता. उन्होंने कितनी तकलीफों के बाद भी पढ़ाई की. उनकी वजह से बदलाव आए. उन्होंने ही पहले वीकर सेक्शन और महिलाओं के अधिकार की बात की. कितनी परेशानी में होने के बाद भी पढ़ाई पूरी की. कहां-कहां नहीं पढ़े. बाबा साहेब से मैं बहुत प्रभावित हूं. उनका पूरा जीवन ही विचारों से भरा है. मैं खुद उनकी बहुत बड़ी फॉलोअर हूं. उनको तो भूलाया ही नहीं जा सकता.

बाबा साहेब ने जो महिलाओं के लिए काम किया. उसे टीना कैसे आगे बढ़ाएगीं?

– बिल्कुल. बाबा साहेब का शिक्षा और महिलाओं के अधिकार पर जोर था. मैं भी महिलाओं की शिक्षा और लिंग अनुपात को लेकर काम करना चाहूंगी. सरकार की नीतियों को ठीक से लागू करवाने पर बदलाव जरूर आएगा.

आप खुद दो बहन हैं. आपने टॉप किया है. मतलब क्या समझा जाए कि ये बदलाव देश को दिशा देनेवाली है. महिलाओं का समय आ गया है.

– (टीना हंसते हुए) आज महिलाएं तेजी से ऊपर आ रही हैं. अब समय बदल गया है. मेहनत से वो आगे आ रही हैं. मैं खुद टॉपर बनी हूं. पहले भी टॉपर हुई हैं. तो बस अब समय महिलाओं का है. मेहनत कीजिए और समाज को बदलिए. लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं.

क्या आपको कभी महसूस हुआ कि आप उस कैटेगरी से आती हैं जो हाशिए पर है. या आपको कभी महसूस कराया गया कि आप उस समाज से आती हैं जो आज भी मेन स्ट्रीम से दूर हैं ?

– सीधे कभी भेदभाव तो नहीं हुआ लेकिन यह भी सच है कि आज भी लोगों का इंटरेस्ट जाति में जरूर रहता है. जब स्कूल, कॉलेज में टॉप करती थी तो लोग यह जानने की कोशिश करते थे कि मैं किस जाति की हूं, और जानने के बाद कहते थे कि अरे वाह, इस जाति के लोग भी इतने बेहतर होते हैं. हां लेकिन उन लोगों ने फिर बाद में अपनाया कि अरे तुम तो बेहतर हो.

शहरों में हालात बदले हैं. आपको क्या लगता है.

– हां, शहर में अब जात-पात खत्म हो रहे हैं. लोग एक दूसरे को अपनाने लगे हैं. लेकिन हां, जाति एक मुद्दा तो है लेकिन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.

लड़कियों के साथ जिस तरह से हिंसा बढ़ी है उसे लेकर आप क्या सोचती हैं. इसके लिए कैसे काम करेंगी.

– हां, महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी हैं. मैं जरूर इसके लिए काम करना चाहूंगी. छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाए तो इसे कम किया जा सकता है. मैं जरूर महिलाओं की सुरक्षा को पर खास ध्यान दूंगी.

यूपीएससी की तैयारी करनेवाले छात्रों को क्या सलाह देंगी ?

– मैं तो इतना ही कहूंगी कि जो भी तैयारी कर रहे हैं वो जमकर मेहनत करें. भरोसा बनाए रखिए. मेहनत का कोई और दूसरा विकल्प नहीं है. खुद पर भरोसा कीजिए. हां, लगातार मेहनत कीजिए. सफलता जरूर मिलेगी.

और तैयारी करने वालों के मम्मी पापा के लिए क्या सलाह है?

– मम्मी-पापा के लिए यही कहूंगी कि आप अपने बच्चों पर भरोसा रखिए. उनके साथ बात कीजिए. क्योंकि जब हम तैयारी होते हैं तो अपने दोस्तों और तमाम लोगों से दूर होते हैं. तब एक घर वाले ही साथ रहते हैं. उन्हें भरोसा दिलाना चाहिए, सफलता जरूरी मिलेगी.

हमसे बात करने के लिए बहुत धन्यवाद

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