दुनिया सिमट गई है। दुनिया के एक छोड़ की खबर कुछ पलों में ही दुनिया के दूसरे कोने तक पहुंच जाती है। और बात जब अमेरिका की हो तो सभी इसके बारे में जानना चाहते हैं। फिलहाल अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा में है। अमेरिका में पिछले चार दिनों से वोटों की गिनती जारी है और अब साफ हो गया है कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन अमेरिका का नया राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट को हासिल कर अमेरिका का नया राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। वाइट हाउस में जो बाइडेन की डेप्युअटी कमला हैरिस होंगी।
शपथ लेते वक्त जो बाइडेन की उम्र करीब 78 साल की होगी और वो अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे। तो आइए जानते हैं अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे जो बाइडेन के बारे में। इस खबर में हम आपको यह भी बताएंगे कि व्हाइट हाउस में जो बाइडेन के रूप में नया राष्ट्रपति आने के बाद भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
जो बाइडेन यानी जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन जूनियर का जन्म 20 नवंबर 1942 में पेन्सिलवेनिया राज्य के स्क्रैंटन में हुआ था। हालांकि वह बचपन में ही डेलवेयर चले गए थे। बाइडेन सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लॉ के स्नातक हैं, स्नातक करने के एक साल बाद उन्होंने डेलावेयर बार परीक्षा पास की। उन्होंने काउंटी परिषद के लिए काफी अभ्यास किया। साल 1972 में जो बाइडेन डेलावेयर से सीनेट के लिए चुने गए। तब वो सबसे कम उम्र के सिनेटर में से एक बने। अमेरिकी सीनेट में रहते हुए बाइडेन ने न्यायपालिका समिति और विदेशी संबंध समिति में सेवा की, कानून और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में एक महत्वपूर्ण अनुभव का निर्माण किया।
हालांकि उनके राजनीतिक जीवन में और ज्यादा जानकारी देने से पहले हम आपको पहले उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताते हैं।
व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो बाइडन ने काफी तकलीफें झेली। 1972 में सीनेट चुने जाने के कुछ वक्त बाद ही एक कार एक्सीडेंट में उनकी पत्नी नीलिया और बेटी नाओमी की मौत हो गई, जबकि उनके बेटे हंटर और ब्यू गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने अपने दोनों बेटों को अपनी बहन और उनके परिवार की मदद से बड़ा किया। साल 2015 में 46 साल की उम्र में बाइडेन के बड़े बेटे ब्यू की ब्रेन कैंसर से मौत हो गई थी। बाइडेन के छोटे बेटे हंटर की बात करें तो एक वकील और लॉबिस्ट के रूप में उनका करियर भ्रष्टाचार के आरोपों का निशाना रहा है।
हालांकि पहली पत्नी नीलिया की मौत के 5 साल बाद बाइडेन ने जिल से शादी कर ली। जिल और बाइडेन की एश्ली नाम की एक बेटी है, जिसका जन्म 1981 में हुआ था।
अब आते हैं जो बाइडेन के राजनीतिक कैरियर पर,
राजनीतिक कैरियर की बात करें तो जो बाइेन डेलवेयर से 6 बार सीनेटर रह चुके हैं। बाइडेन राष्ट्रपति चुनाव की रेस में तीसरी बार उतरे हैं। उनकी पहली कोशिश 1988 के चुनाव के लिए थी, हालांकि तब उन्हें साहित्यिक चोरी के आरोप में पीछे हटना पड़ा था। उन्होंने अपनी दूसरी कोशिश 2008 के चुनाव के लिए की थी।
बाइडेन को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का करीबी माना जाना है। वह ओबामा के कार्यकाल में 2008 से 2016 तक दो बार उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। यही वजह है कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन की जीत के लिए ओबामा भी काफी जोर लगाते दिखें।
बाइडेन की 3 बड़ी प्राथमिकताएं हैं? जिसकी घोषणा उन्होंने तमाम भाषणों के दौरान की-
(1) हेल्थ केयर से जुड़े ढांचे का विस्तार करना
(2) शिक्षा में ज्यादा निवेश करना
(3) सहयोगी देशों के साथ संबंधों को नई दिशा देना
भारत को लेकर नीति
यहां जब हम सहयोगी देशों की बात कर रहे हैं तो एक जरूरी सवाल यह भी है कि भारत को लेकर जो बाइडेन का रुख क्या रहेगा। भारत में बाइडेन को लेकर दो अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं। या यूं कहें कि भारत के बुद्धिजीवी और विदेश नीति के जानकार दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं। एक धड़ा का कहना है कि बाइडेन के बयानों के अनुसार, वह जम्मू कश्मीर और एनआरसी-सीएए के कारण भारत से असंतुष्ट हैं।
जबकि एक धड़े का मानना यह भी है कि अपनी विदेश नीति यानी फॉरेन पॉलिसी को लेकर बाइडेन का नजरिया बिलकुल अलग है। एक दूरदर्शी नेता होने के नाते बाइडेन अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को काफी गहराई से देखते हैं और वह किसी देश की आंतरिक नीति में ज्यादा दखल नहीं देते।
भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए बाइडेन ने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं तो भारत अपने क्षेत्र और अपनी सीमाओं पर जिन खतरों का सामना कर रहा है, वह उनसे निपटने में उसके साथ खड़े रहेंगे। वह भारत को अमेरिका के लिए ‘प्राकृतिक साझेदार’ मानते हैं। ओबामा के समय में भारत-अमेरिका के संबंध बेहतर हुए, ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि बाइडेन के कार्यकाल में भारत-अमेरिका के संबंध ठीक रहेंगे। जो बाइडेन की सहयोगी के रूप में उपराष्ट्रपि के तौर पर भारतीय मूल की कमला हैरिस के होने से भी फर्क पड़ने की संभवना है।
हमें भी उम्मीद करनी चाहिए भारत और अमेरिका के संबंध बेहतर होंगे और H1-B वीजा को लेकर लगाई गई रोक को अमेरिका वापस ले लेगा, जिससे अमेरिका में भारतीयों की नौकरी के द्वार फिर से खुल जाएंगे। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरा जोर लगाया था कि अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप की दुबारा वापसी हो, प्रधानंमत्री मोदी ने ट्रंप के पक्ष में चुनाव प्रचार भी किया था, लेकिन लगता है कि अब भारतीयों ने प्रधानमंत्री मोदी को सुनना कम कर दिया है। फिलहाल अमेरिकियों को नया राष्ट्रपति मुबारक।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।