वॉशिंगटन। अमेरिका ने 6 मुस्लिम देशों के लोगों और शरणार्थियों को वीजा देने के लिए नए नियम बना दिए हैं. नई नियमों के अनुसार इन देशों के वीजा आवेदक या शरणार्थियों का अमेरिका में पारिवारिक और व्यावसायिक संबंध होना अनिवार्य है. ये शर्त पूरी होने पर ही उन्हें वीजा जारी किया जा सकेगा. ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने रियायत तब दी है, जब सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक तौर पर ट्रम्प के ट्रैवल बैन के आदेश को बहाल कर दिया है.
अमेरिकी एम्बेसी और कॉन्सुलेट को भेजे गए नए नियमों के अनुसार ट्रैवल बैन के दायरे में आने वाले 6 मुस्लिम देशों के लोगों को अमेरिका में पहले से रह रहे अपने रिश्तेदारों के साथ संबंध के सबूत देने अनिवार्य होंगे. वीजा के लिए वो अमेरिका में रह रहे अपने माता-पिता, बच्चों, पति, दामाद, बहू या भाई-बहन जैसे करीबी रिश्तेदारों के साथ ही संबंधों का सबूत दे सकते हैं. नए मानदंडों में ग्रैंड पेरेंट्स, पोते-पोती, चाचा-चाची, भतीजा-भतीजी, ननद, देवर और मंगेतर जैसे अन्य परिवार के सदस्यों को करीबी रिश्तेदार में शामिल नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि ट्रम्प के 6 मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक तौर पर बहाल कर दिया था. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में तय की है. कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले को पलटते हुए कहा था कि यह आदेश 6 देशों को उन नागरिकों पर लागू होगा, जिनका अमेरिका में किसी शख्स से कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि इस प्रतिबंध का जिनके करीबी रिश्तेदार अमेरिका में रह रहे हैं, उन पर या फिर अमेरिकी संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों पर कोई असर नहीं होगा.
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद चुनावी वादे के मुताबिक 27 जनवरी को 7 मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगाने वाला एग्जीक्यूटिव ऑर्डर सामने आया था ऑर्डर के तहत इराक, लीबिया, ईरान, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों समेत सभी शरणार्थियों का अमेरिका में प्रवेश रोक दिया गया था. ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन का कहना था कि इससे अमेरिका सुरक्षित बनेगा और देश में आतंकी हमलों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. निचली अदालत और उसके बाद दो अपीलीय अदालत ने ट्रम्प के ट्रैवल बैन के इस आदेश को गैरसंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी थी.
6 मार्च को ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें 7 की जगह 6 देश लीबिया, ईरान, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन को इस दायरे में लाया गया. इन देशों के लोगों पर 90 दिन तक यूएस में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसके अलावा 120 दिन तक शरणार्थियों के आने पर भी पाबंदी लगाई गई थी.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।