आप लोग अक्सर जीडीपी के बढ़ने और घटने की खबर सुनते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक आम व्यक्ति के जीवन में क्या असल डालता है. इस खबर में हम आपको वह समझाने की कोशिश करेंगे.
लगातार पांच तिमाही तक आर्थिक विकास दर में गिरावट के बाद यह थोड़ा संभला है. वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसद रही. ग्रोथ रेट में आई इस बढ़ोत्तरी का कारण मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर को दिया जा रहा है. लेकिन आम इंसान के जीवन को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र कृषि और सेवा क्षेत्र में अभी सुधार होना बाकी है.
अब सवाल यह खड़ा होता है कि आंकड़ों में यह तरक्की देश की अर्थव्यस्था और आम आदमी के जीवन पर क्या असर डालती है.
राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान की सलाहकार और अर्थशास्त्री राधिका पांडे का कहना है कि जीडीपी ग्रोथ रेट में आए उछाल का सीधा मतलब यह है कि जीएसटी और नोटबंदी का असर कम हुआ है. वैसे भी बाजार पर चाहे जितनी आफत आ जाए वह कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है. यही यहां भी हुआ है. जैसे जीएसटी से हुई परेशानी अभी भी कायम है लेकिन बाजार संभलने लगा है.
अब सवाल आता है आम आदमी का. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर अगर टिकाऊ है तो निश्चित तौर यह रोजगार के मोर्चे पर एक अच्छा संकेत हो सकता है. रोजगार में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का बड़ा योगदार है. ऐसे में अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ोतरी होती है तो आने वाले दिनों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. इस सेक्टर में ग्रोथ का दूसरा बड़ा फायदा यह है कि संगठित अर्थव्यवस्था का दायरा धीरे धीरे बढ़ रहा है. अन-ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर का ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की दिशा में बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है.