जब लड़ने को खड़े हुए, तब ही पीएम मोदी का बयान क्यों आया?

जब तक दलित पिट रहे थे तब तक मोदी का बयान नही आया. जब वो लड़ने उठ खड़े हुये तब मोदी क्यो बोले? क्यों? लड़ने वालो को इस बयान की क्या जरूरत है? अपने बयान से वो दलितो की मदद कर रहे हैं या उन्हे भ्रमित कर भाजपा की मदद कर रहे हैं? मोदी का बयान लड़ने उठ खड़े दलितों को भ्रमित करने का मनिवैज्ञानिक हमला मात्र है. गौरक्षको के हमले का प्लान भी.

मुस्लिम तो मारे तक गये, उनके लिये तो अब भी नही बोले. गौर से देखिये मुसलमान लड़ने को नही खड़े हुये तो उनके लिये मोदी ने कुछ नहीं बोला. क्या मोदी जी अपने गौरक्षको को ये कह रहे हैं कि सिर्फ मुस्लिमो पर हमला करो? जाहिर है वो एक रणनीति के तहत फिर से बेईमानी कर रहे हैं जिसकी उनके चरित्र को देखते हुये उनसे उम्मीद की जाती है. लड़ते दलितों को आपके बयान की जरूरत नहीं है मोदी जी. बतौर प्रधानमंत्री अपनी ड्यूटी करिए और कोई एक्शन लेना हो तो लीजिये, उसके लिये एहसान मत दिखाइये. पिटने वाला दलित अब लड़ेगा और बहुजन बनेगा.

लड़ाई लड़ने के लिये उठे बहुजनों अपना सशक्तीकरण और देश के दुश्मनो की अपनी समझ को बनाये रखो, आपके शोषण करने वाले इन नफरत से भरे अमानुष देशद्रोही संघियो को आपका अपना बताने कि कोशिश कर भ्रमित करने वाले मक्कारो के बयान आयेंगे. मोदी सिर्फ एक भ्रम पैदा कर रहे हैं कि बहुजनो को खुद लड़ने की जरूरत नही हैं मैं हूँ. ये झूठ है आपकी लड़ाई की प्रेरणा को तोडने के लिये. अपनी समझ बनाये रखो, और उद्देश्य भी.​

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