भारतीय जनता पार्टी के एक दलित सांसद के बयान से केंद्र सरकार बैकफुट पर है और पीएम मोदी मुश्किल में। कर्नाटक के विजयपुरा सीट से सांसद रमेश जिगाजिनागी ने आरोप लगाया है कि भाजपा एक दलित विरोधी पार्टी है और यहां दलितो को दरकिनार कर दिया जाता है। रमेश जिगाजिनागी सात बार सांसद रहे हैं और इस बार वह विजयपुरा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।
दरअसल रमेश जिगाजिनागी का आरोप है कि ज्यादातर केंद्रीय मंत्री ऊंची जातियों से हैं और दलितों को दरकिनार किया गया है। उन्होंने भाजपा में शामिल होने को लेकर भी अफसोस जताया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कई लोगों ने मुझे बीजेपी में ना जाने की सलाह दी थी, क्योंकि यह पार्टी ‘दलित विरोधी’ है।
सांसद का तर्क है कि दक्षिण भारत में सात बार चुनाव जीतने वाले वो अकेले दलित समाज के नेता हैं। मुझे मंत्री पद की मांग करने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल 72 साल के रमेश जिगाजिनागी पहली बार 1998 में लोकसभा चुनाव जीते थे। तब से लेकर अब तक वह लगातार जीतते आए हैं। वह दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। यानी कि प्रदेश में वह एक कद्दावर दलित चेहरा हैं। बावजूद इसके उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई, जिसको लेकर उन्होंने खुलकर नाराजगी जाहिर कर दी है।
बता दें कि कर्नाटक में कुल 28 सीटें हैं और बीजेपी ने इस बार आधे से ज्यादा 17 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि एनडीए की सहयोगी जेडीएस ने दो और कांग्रेस पार्टी ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की। कर्नाटक से मोदी मंत्रिमंडल में चार लोगों को जगह दी गई है। इसमें प्रह्लाद जोशी, शोभा करांदलाजे, वी सोमन्ना और जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी का नाम शामिल है। मोदी मंत्रिमंडल में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधित्व की बात करें तो इस बार मंत्रिमंडल में 29 ओबीसी, 28 जनरल, 10 एससी और 5 एसटी शामिल हैं। ऐसे में जब कर्नाटक से चार लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, रमेश जिगाजानागी का दर्द जायज लगता है।
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