Saturday, March 29, 2025
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दिल्ली में कांग्रेस से क्यों दूर रहे दलित और मुस्लिम

दलितों में जाटव और वाल्मीकि दो प्रमुख जातियां हैं। जाटव वोटरों की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक 58 प्रतिशत जाटवों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, 34 प्रतिशत ने भाजपा को वोट दिया जबकि 4 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। दलितों की वाल्मीकि जाति में 67 प्रतिशत वोट आम आदमी पार्टी को मिले हैं, जबकि 25 प्रतिशत ने भाजपा को।

दिल्ली। दिल्ली चुनाव के नतीजे सबके सामने हैं। आम आदमी पार्टी और उसके दिग्गज नेताओं की हार और भाजपा की बंपर जीत के बाद अब किसने किसको और क्यों वोट दिया, इसके विश्लेषण का दौर है। इस बारे में लोकनीति और सीएसडीएस ने आंकड़ा जारी कर दिया है, जिसको इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट में साफ है कि सवर्ण जातियों ने इस बार भाजपा को बंपर वोट किया है। तो वहीं, आम आदमी पार्टी मुस्लिम समुदाय और दलित समाज का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही है। रिपोर्ट में हर जाति का अलग से जिक्र किया गया है। इसमें एक बड़ा सवाल कांग्रेस के लिए है कि

इसके मुताबिक 66 प्रतिशत ब्राह्मण वोटरों ने भाजपा को वोट दिया। जबकि 26 प्रतिशत ने आम आदमी को तो 5 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट किया है। बनिया वर्ग की बात करें तो बाह्मणों की तरह ही 66 प्रतिशत बनिया वर्ग ने भाजपा को वोट किया। इस समुदाय का 25 प्रतिशत वोट आम आदमी पार्टी को और 7 प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिला है।

दिल्ली चुनाव में पंजाबी वर्ग भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है। इनको रिझाने के लिए आम आदमी पार्टी ने पंजाब के अपने मुख्यमंत्री भगवंत मान को दिल्ली चुनाव प्रचार में उतारा। हालांकि आप को इसका फायदा नहीं मिला है। पंजाबी बनियों में सिर्फ 26 प्रतिशत ने आप को समर्थन दिया, जबकि 67 प्रतिशत ने भाजपा और 5 प्रतिशत ने कांग्रेस को चुना। इसी तरह 60 प्रतिशत ठाकुरों ने भाजपा को वोट दिया, इसके तकरीबन आधे 33 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी को और 4 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट किया।

जिस तरह सवर्णों ने भाजपा को जमकर वोट किया तो मुस्लिम और दलित वोटरों का साथ आम आदमी पार्टी को मिला है।
65 फीसदी मुसलमानों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया जबकि 16 प्रतिशत ने कांग्रेस को। हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस वर्ग का 15 प्रतिशत वोट हासिल करने में कामयाब रही जो कि उसके लिए बोनस बन गया।

दलितों में जाटव और वाल्मीकि दो प्रमुख जातियां हैं। जाटव वोटरों की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक 58 प्रतिशत जाटवों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, 34 प्रतिशत ने भाजपा को वोट दिया जबकि 4 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। दलितों की वाल्मीकि जाति में 67 प्रतिशत वोट आम आदमी पार्टी को मिले हैं, जबकि 25 प्रतिशत ने भाजपा को और 9 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। इन दोनों प्रमुख दलित जातियों के अलावा अन्य दलित जातियों में 53 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी को, 41 प्रतिशत ने भाजपा को और 3 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट किया।

जाट मतदाताओं में 45 प्रतिशत ने भाजपा को, 44 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी और 5 प्रतिशत ने कांग्रेस को, जबकि गुर्जरों में 49 प्रतिशत ने भाजपा, 44 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी को 5 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया। यादवों समुदाय आप और भाजपा दोनों के बीच आधी-आधी बंटी दिखी। अन्य पिछड़ी जातियों ने भाजपा का साथ अधिक दिया। जबकि सिख समाज के वोट तीनों दलों में बंटे। 45 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी को, 43 प्रतिशत ने भाजपा को जबकि 10 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया।

इन आंकड़े से साफ है कि अगर आम आदमी पार्टी की इज्जत बच पाई है तो मुस्लिम और दलित वोटों की वजह से। हालांकि यहां एक बड़ा सवाल यह भी है कि राहुल गांधी के तमाम संविधान बचाओ सम्मेलनों के बावजूद दलितों और मुसलमानों ने कांग्रेस को समर्थन क्यों नहीं दिया। जाहिर है कांग्रेस पार्टी को इन सवालों का जवाब तलाशना होगा।

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