नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल आज यहां अपनी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ पहुंचे, जहां उन्हें नामांकन दाखिल करना है. विपक्ष इसको लेकर राहुल गांधी पर निशाना साध रहा है, लेकिन राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के पीछे असली कारण कुछ और है.
दरअसल राहुल गांदी वायनाड ऐसे नहीं आए हैं. बल्कि वो यहां से केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को साधने की कोशिश में हैं. वायनाड से गांधी परिवार के रिश्ते को देखते हुए इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता. यहां से कांग्रेस का सिर्फ राजनीतिक रिश्ता नहीं है बल्कि गांधी परिवार की कई यादें भी जुड़ी हैं. तो राहुल गांधी का यहां से भावनात्मक रिश्ता है. राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर दादी इंदिरा गांधी तक का यहां से गहरा लगाव रहा है. इसी के नाते राहुल ने वायनाड को चुना. 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्या के बाद उनकी अस्थियों को केरल के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन ने वायनाड के पापनाशिनी नदी में विसर्जित किया गया था.
राजीव गांधी की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ राहुल गांधी खुद वायनाड गए थे. उन्होंने के. करुणाकरन के साथ वायनाड की पापनाशिनी नदी में उसे विसर्जित किया था. उसी दौरान हुए 1991 के लोकसभा चुनाव में केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस को 13, मुस्लिम लीग को 2, सीपीएम को 3 और अन्य को एक सीट मिली थी. इसी तरह से 1991 के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी वामपंथी गठबंधन को तगड़ा झटका लगा था.
यही वजह है कि वामपंथी दल राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने का तगड़ा विरोध कर रहे हैं. जाहिर है कि राहुल गांधी के यहां से चुनाव लड़ने से वो तमाम बातें और मुद्दे सामने आएंगे. राहुल के वहां होने से प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी का भी वहां दौरा होगा. ऐसे में यह सीट कांग्रेस पार्टी के तमाम अन्य दिग्गज नेताओं के भी केंद्र में रहेगा. वाम दलों को इसी से परेशानी है. उन्हें पता है कि अगर यहां कांग्रेस पार्टी को फायदा होगा तो नुकसान सिर्फ वाम दलों का होगा. जबकि राहुल गांधी की निगाह केरल, तामिलनाडु और कर्नाटक इन तीनों प्रदेशों के लोकसभा सीटों को साधने की है.