नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भले ही किसी के अच्छे दिए आए हो या न आए हो, भाजपा के पूर्व दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के लिए बुरे दिन जरूर आ गए. मोदी ने पहले आडवाणी को सिर्फ एक सांसद तक सीमित कर दिया तो वहीं राष्ट्रपति बनकर राजनीति से गरिमापूर्ण विदाई की उनकी उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया. इसी कड़ी में मोदी आडवाणी को एक बड़ा और आखिरी झटका देने की तैयारी में हैं.
खबर है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह जल्द ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संयोजक बन सकते हैं. 15 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एनडीए संसदीय दल के नेता यानि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका फैसला ले सकता है. अगर ऐसा होता है तो संसद में लालकृष्ण आडवाणी को अपना कमरा खाली करना पड़ सकता है.
संसद भवन में ग्राउंड फ्लोर पर एनडीए संयोजक के लिए एक कमरा आवंटित है. इस कमरे में फिलहाल आडवाणी बैठते हैं. चूंकि लालकृष्ण आडवाणी अभी एनडीए या भाजपा में किसी पद पर नहीं है ऐसे में अमित शाह के आने के बाद एनडीए संयोजक के लिए आवंटित कमरा उन्हें खाली करना होगा.
इससे पहले जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई थी उस वक्त भी आडवाणी के कमरे के बाहर से उनकी नेम प्लेट हटा ली गई थी. ऐसे में आडवाणी भाजपा सांसदों के लिए आबंटित कमरे में ही एक कोने में सोफे पर आकर बैठ गए थे. पार्टी में काफी भीतरी घमासान के बाद तीन दिन के बाद उन्हें बैठने के लिए एनडीए अध्यक्ष का कमरा दिया गया था. अब चूंकि अमित शाह का एनडीए संयोजक बनना लगभग तय है तो आडवाणी को कमरा खाली करना पड़ेगा.