हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मृत्यु के बाद उनके स्मारक की मांग उठाई जाने लगी। कांग्रेस पार्टी का कहना था कि केंद्र सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री का स्मारक बनाने के लिए जमीन आवंटित करनी चाहिए। इस बीच केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी के स्मारक के लिए जगह का आवंटन कर दिया। केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की याद में राजघाट के पास ही राष्ट्रीय स्मृति स्थल में स्मारक बनेगा।
इस बहस के बीच बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की याद में दिल्ली में स्मारक बनाने की मांग भी उठने लगी है। अंबेडकरवादी समाज का कहना है कि बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर को वह सम्मान नहीं दिया गया था जो मिलना चाहिए। डॉ. आंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद अंबेडकरवादी चाहते थे कि उनकी याद में दिल्ली में राजघाट या आस-पास बाबासाहेब का स्मारक बने। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बाबासाहेब के पार्थिव शरीर को आनन-फानन में विशेष विमान से मुंबई भिजवा दिया। मुंबई में भी डॉ. आंबेडकर के अनुयायी शिवाजी पार्क में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर का अंतिम संस्कार और स्मारक चाहते थे, लेकिन तब भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। तब बाबासाहेब के मित्र ने दादर में समुद्र किनारे अपनी निजी जमीन बाबासाहेब के स्मारक के लिए दान दी, जिसमें आज डॉ. आंबेडकर का स्मारक है।
ऐसे में एक बार फिर से यह बहस चल पड़ी है कि क्या नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार बाबासाहेब को दिल्ली में स्मारक बनाकर सम्मान देगी। इस मुद्दे पर “दलित दस्तक” के संपादक अशोक दास ने दलित एक्टिविस्ट डॉ. सतीश प्रकाश से चर्चा की। आप भी देखिए-

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।