Wednesday, April 16, 2025
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क्या 2019 में भाजपा की ओर से खेलेंगे शिवपाल यादव

मुलायम सिंह यादव की बनाई समाजवादी पार्टी में बिखराव शुरू हो गया है. उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने सपा से नाता तोड़कर समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा बनाने की घोषणा कर दी है. शिवपाल यादव ने यह घोषणा 29 अगस्त को की. उनका कहना था कि वे पिछले डेढ़ साल से इंतजार कर रहे थे कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्हें उनके क़द के मुताबिक कोई ज़िम्मेदारी सौंपेंगे. लेकिन जब अखिलेश ने अपने चाचा की सुध लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई तो शिवपाल सिंह ने सपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली है.

शुरुआती तौर पर जो दिख रहा है, उसके मुताबिक शिवपाल का इरादा अखिलेश से नाराज़ सभी नेताओं को एक मंच पर लाना है. 2016 के अंत में अखिलेश यादव ने शिवपाल को न सिर्फ मंत्रिमंडल से हटा दिया बल्कि पार्टी से भी निष्कासित कर दिया था. लेकिन फिर मुलायम सिंह के दखल के बाद अखिलेश यादव ने उन्हें वापस पार्टी में तो ले लिया लेकिन उन्हें हाशिये पर रखा. इसके बाद से ही शिवपाल अखिलेश से नाराज चल रहे थे. जिसके बाद शिवपाल द्वारा नया मोर्चा बनाने की बात सामने आई है.

हालांकि शिवपाल सिंह यादव के सपा और संभावित महागठबंधन के सामने खड़े होने के पीछे भाजपा का हाथ माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ महीनों में शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कई बार मिले हैं. तो वहीं सपा से निष्कासित राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने मंगलवार को लखनऊ में मीडिया से शिवपाल और बीजेपी के वरिष्ठ नेता के बीच मीटिंग फिक्स करवाने की बात कही थी, हालांकि शिवपाल उस बैठक में नहीं पहुंचे थे. यानी शिवपाल के फैसले के पीछे जिन लोगों का हाथ है उनमें अमर सिंह और योगी आदित्यनाथ नाम होने से इंकार नहीं किया जा सकता.

दरअसल भाजपा के खिलाफ देश भर में जिस तरह का माहौल बन गया है, उससे साफ है कि भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में जिस तरह महागठबंधन बन गया है उससे भाजपा खासी परेशान है. लिहाजा अमित शाह और मोदी चुनौती वाले हर राज्य में चुनाव को त्रिकोणीय या बहुकोणीय बनाने के पक्षधर हैं, ताकि विपक्षी वोटों को बांटकर भाजपा के जीत को सुनिश्चित किया जा सके.

यही वह तरीक़ा है जिससे एंटी-इनकमबेंसी के चलते कम होने वाली सीटों की भरपाई हो सकती है. एनडीए के पास आज 333 सीटें हैं. यानी बहुमत से 60 सीटें ज्यादा. अगर 2019 के चुनाव में वह बहुमत से कुछ दूर रह जाती है तो उसे उम्मीद है कि उसे नए सहयोगी मिलने में दिक़्क़त नहीं होगी. यह भारतीय जनता पार्टी का ‘डिमॉलिशन स्क्वॉड’ है. फ़िलहाल इसने उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव के रूप में अपना काम करना शुरु कर दिया है.

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