हाल ही में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नौवीं में पढ़ने वाली एक छात्रा को एक मनचले लड़के ने सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि उसने उसके प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. ये सिर्फ इस बात का संकेत है कि पुरुष अपने वर्चस्व पर आघात कैसे सह सकता है.
अगर हम अलग-अलग देशों में शीर्ष दस महिलाओं के लिए असुरक्षित देशों की बात करें तो उसमें नम्बर एक पर कोलम्बिया आएगा. यहां सबसे ज्यादा एसिड अटैक की घटनाए होती है. खास यह कि इनमें से ज्यादातर को न्याय नहीं मिल पाता. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में यहां लगभग 45,000 केस घरेलू हिंसा के दर्ज किए गए थे. दूसरे नंबर पर अफगानिस्तान का नाम आता है जहां लगभग 87 फीसदी लड़कियों की शादी 15 से 19 वर्ष के बीच कर दी जाती है. घरेलू हिंसा की दर यहां सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही प्रसव के समय मृत्यु की दर प्रति एक लाख में 400 की है. तीसरे नंबर पर हमारा देश भारत आता है, जहां सामूहिक बलात्कार, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, मानव तस्करी की दर सबसे ज्यादा है.
आंकड़ों की बात करें तो बीते 30 साल में पचास मिलियन (5 करोड़) से ज्यादा महिलाओं के गर्भपात के केस सामने आए हैं. चौथे नंबर पर जिस देश का नाम है; वह है- द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो. एक शोध के मुताबित कांगो में सबसे ज्यादा लिंग आधारित हिंसा होती है. लगभग 1.150 औरतें प्रतिदिन बलात्कार की शिकार होती हैं जो 4 लाख 20 हजार तक प्रतिवर्ष दर्ज की जाती है. औरतों के स्वास्थ्य की हालत सबसे ज्यादा खराब इसी देश में है. यहां की 51 प्रतिशत औरतें गर्भावस्था में रक्त-अल्पता (एनीमिया) से जूझती हैं. पांचवे नम्बर पर सोमालिया है; जहां कानून एवं व्यवस्था की भारी कमी है. वहां सेक्सुअल हरासमेंट को बहुत ही सामान्य तरीके से देखा जाता है. यहां प्रसव कालीन मौत की दर काफी ज्यादा है तथा बाल विवाह तथा औरतों के खतना जैसी बातें रोजमर्रा की है. छठे नम्बर पर पाकिस्तान है जहां औरतों को कम उम्र में जबरदस्ती की शादी, एसिड अटैक, पत्थर से मारने की सजा जैसी घटनाओं से आए दिन गुजरना पड़ता है.
वहां हर साल लगभग एक हजार लड़कियां ऑनर किलिंग की भेंट चढ़ जाती हैं. सातवें नम्बर पर केन्या आता है, जहां एड्स औरतों के लिए आम समस्या है. तथा उन्हें अपनी निजी जिंदगी में कोई भी फैसला लेने का अधिकार नहीं है. ब्राजील का नम्बर आठवां है. शोध के मुताबित हर पंद्रहवां सेकेंड यहां औरतों के साथ यौन उत्पीड़न होता है तथा प्रत्येक 2 घंटे में एक औरत का कत्ल हो जाता है. बच्चा जन्म देने या ना देने का फैसला लेने का अधिकार भी औरतों को नहीं है. अगर वो अपनी मर्जी से गर्भपात कराती हैं तो उन्हें 3 वर्ष की जेल होती है. 9वें नम्बर पर इजिप्ट आता है. यौन उत्पीड़न इस देश में इतना ज्यादा है कि यहां आए टूरिस्टों को भी इसका सामना करना पड़ता है. औरतों को शादी करने, बच्चे की कस्टडी, तलाक या कोई अन्य निर्णय लेने की आजादी नहीं है. दसवे नम्बर पर मैक्सिको आता है जहां 2011-12 में 4000 केस महिलाओं के लापता होने के दर्ज हुई हैं. ये तो बस चंद देशों में महिलाओं की स्थिति की झलकियां है. कमोबेश ज्यादातर देशों में यही स्थिति है. तमाम देशों में औरतों को उनका जायज हक नहीं मिलता. उनके साथ शारीरिक, मानसिक, कानूनी दुर्व्यवहार होते हैं. हम दिनों दिन तरक्की कर रहे हैं मगर औरतों की सुरक्षा पर अभी भी सवालिया निगाह है. शायद यही वजह है कि दिल्ली में लड़कियों ने रात को सड़क पर घूमकर ‘रात को सड़कों पर घूमने का हक’ मांगा और देश के बड़े शहरों में यह मुहिम बनती जा रही है.
– लेखिका शिक्षिका हैं. महिला मुद्दों पर लिखती हैं. उनसे संपर्क raipuja16@gmail.com पर किया जा सकता है.
डॉ. पूजा राय पेशे से शिक्षिका हैं। स्त्री मुद्दों पर लगातार लेखन के जरिय सक्रिय हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘आधी आबादी का दर्द’ खासी लोकप्रिय हुई थी।