लखनऊ। मोदी सरकार में जनता के लिए अच्छे दिन भले ही ना आए हों लेकिन भाजपा नेताओं के अच्छे दिन ज़रूर आ गये हैं. खासकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित यूपी में भाजपा के मंत्रियों और विधायकों के लिए तो अच्छे दिन का फरमान भी आ गया है. असल में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के राजनेताओं पर लगे 20 हजार मुकदमे वापस लेने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद अब खुद योगी पर लगे आरोप भी खारिज हो जाएंगे. इसी संबध में 21 दिसंबर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह विधेयक पास हो चुका है.
सरकार का कहना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध पर रोकथाम के लिए उठाया है, लेकिन विपक्ष की माने तो सरकार इसकी आड़ में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लगे मुकदमे वापस लेना चाहती है. सरकार के इस फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोम्स (एडीआर) के मुताबिक, यूपी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ-साथ 20 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं बीजेपी के 312 विधायकों में से 114 पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 83 गंभीर आपराधों में शामिल हैं.
गौरतलब है कि 20 दिसंबर को सरकार ने गोरखपुर के डीएम को के पत्र भेजा था, जिसमें उनसे कोर्ट में 1995 में दर्ज मुकदमें वापस लेने का आवेदन करने के लिए कहा गया था. इस मुकदमें में सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, विधायक शीतल पांडेय सहित 10 नेताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा उल्लंघन के मामले में केस दर्ज था.
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