लखनऊ। पिछड़ी जातियों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नया फार्मूला तैयार करने की राह पर है. सरकार ने अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाने की बात कहते हुए यह फार्मूला तय किया है. नए फार्मूले में यादव और कुर्मी जाति को मिलने वाले आरक्षण को सीमित कर दिया गया है. हालांकि कमेटी की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन इसके कुछ हिस्से सामने आए हैं. इसके तहत ओबीसी को कोटा विद इन कोटा के तहत तीन वर्गों में बांटने की बात सामने आ रही हैं.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ओबीसी के भीतर उप-जातियों के वर्गीकरण के लिए इस समिति का गठन किया था, जिसके बाद यह रिपोर्ट सामने आई है. राघवेंद्र कमिटी के रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी जातियों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को बांट दिया गया है. रिपोर्ट में चार सदस्यीय समिति द्वारा कथित तौर पर ओबीसी की संपन्न जातियों जैसे यादव और कुर्मी आदि को 7 फीसदी आरक्षण दिए जाने की बात कही गई है. बाकी 20 फीसदी आरक्षण अति पिछड़ी जातियों के कोटे में जाएगा.
जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अगुवाई वाली समिति ने ओबीसी की 79 उप-जातियों की पहचान की है. अब हम आपको बताते हैं कि किस जाति को किस वर्ग में रखा गया है और उसको कितना आरक्षण मिलेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक संपन्न पिछड़ी जातियों में नौ जातियों को रखा गया है इनमें- यादव, अहिर, जाट, कुर्मी, सोनार, पटेल और चौरसिया सरीखी जातियां शामिल हैं. इनको 7 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का प्रस्ताव है.
जबकि अति पिछड़ा वर्ग में 65 जातियों को शामिल किया गया है उनमें- गिरी, गुर्जर, गोंसाई, लोध, कुशवाहा, कुम्हार, माली, शाक्य, तेली, साहू, सैनी, नाई और लोहार आदि जातियां हैं. इन जातियों को 11 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का प्रस्ताव है.
तीसरी कैटेगरी में 95 जातियों को शामिल किए जाने की बात सामने आई है. इनमें मल्लाह, केवट, निषाद, राई, गद्दी, घोसी, राजभर जैसी जातियां शामिल हैं. इनको 9 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है.
इस रिपोर्ट की सिफारिशें सामने आने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि देश में आबादी के हिसाब से आरक्षण हो. देश में जातियों के आधार पर जनगणना हो और उसके बाद तब आरक्षण का फार्मूला तय किया जाना चाहिए.
दरअसल राघवेंद्र कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का ज्यादा फायदा कुछ चुनिंदा संपन्न जातियां ही उठाती रही हैं. ऐसे में कोटे के भीतर कोटा तय होना चाहिए, क्योंकि ओबीसी की बाकी 70 फीसदी जातियां अब भी आरक्षण के फायदे से वंचित है.
हालांकि, इस रिपोर्ट पर आखिरी फैसला योगी सरकार को लेना है. इस रिपोर्ट के मुताबिक आरक्षण के भीतर आरक्षण तय होगा या फिर सरकार इसमें कुछ संशोधन करेगी, यह तय होना फिलहाल बाकी है. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार तीनों वर्गों को 9-9 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार कर सकती है. योगी सरकार इस पर आखिरी फैसला कब लेती है, और क्या फैसला लेगी, यह आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल समिति की रिपोर्ट ने नई बहस तो छेड़ ही दी है.
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राज कुमार साल 2020 से मीडिया में सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं।